
पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से चल रहे पानी के विवाद में अब कुछ राहत की खबर आई है। यह मामला मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए पेश हुआ। कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) को नोटिस जारी करते हुए जवाब माँगा है। अब इस केस की अगली सुनवाई 20 मई को होगी।
इस घटनाक्रम के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इसे अपनी सरकार की जीत बताया। लुधियाना में एक हाई लेवल पुल के उद्घाटन समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार पंजाब को जानबूझकर पानी के मसले में उलझाकर विकास कार्यों में बाधा डालना चाहती थी, लेकिन उनकी यह चाल नाकाम हो गई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने तर्कों के आधार पर अदालत में मजबूती से अपना पक्ष रखा और पंजाब के हक में आवाज़ बुलंद की।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने कोर्ट में यह साफ कर दिया है कि पंजाब के पानी पर पंजाब का हक़ है और हम इसे किसी भी हालत में छोड़ने को तैयार नहीं हैं। कोर्ट ने हमारी बात सुनी और अगली सुनवाई 20 मई को रखी है। यह हमारे पक्ष में एक सकारात्मक संकेत है।”
विकास कार्यों की झलक
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मौके पर लुधियाना के सलेम टाबरी इलाके में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए जानकारी दी कि उन्होंने वहाँ कुल तीन प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन किया:
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26 लाख रुपये की लागत से बना आधुनिक सुविधाओं वाला स्पोर्ट्स पार्क।
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4.30 करोड़ रुपये की लागत से तैयार डॉ. अंबेडकर भवन।
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8.16 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हाई लेवल पुल।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार पूरी तरह से राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी राजनीतिक साज़िश या बाधा के सामने झुकने वाली नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश में पारदर्शिता और जनसेवा को प्राथमिकता दी है।
हरियाणा को पानी मिलने पर टिप्पणी
मुख्यमंत्री मान ने यह भी कहा कि यदि कोर्ट हरियाणा को पानी देने का कोई आदेश देती है, तो वह फैसला 20 मई की रात से लागू हो सकता है। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी और पंजाब के हितों की रक्षा करती रहेगी।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि पंजाब सरकार ने पानी के मुद्दे पर अदालत में अपनी स्थिति मजबूती से रखी है। हाईकोर्ट की अगली सुनवाई से पहले भगवंत मान ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार न केवल पंजाब के विकास में लगी है, बल्कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के हक के लिए भी डटकर लड़ रही है। अब 20 मई को यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है।