
पंजाब विधानसभा में सोमवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जिसमें सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया कि पंजाब अब भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा लिए गए जल बंटवारे से जुड़े किसी भी निर्णय को स्वीकार नहीं करेगा। इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कैबिनेट मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि यह फैसला राज्य के जल अधिकारों की रक्षा के लिए बेहद जरूरी है।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस बहस में भाग लेते हुए कहा कि बीबीएमबी को सतलुज और ब्यास नदियों के जल प्रबंधन के लिए बनाया गया था, और ये दोनों नदियाँ पंजाब की हैं। उनका पानी पंजाब का हक है, लेकिन वर्षों से यह जल हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों को भेजा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि अब बीजेपी सरकार इस बोर्ड का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिना पंजाब से सलाह लिए, बीबीएमबी की बैठकें आधी रात को बुलाई जाती हैं और पंजाब के हक का पानी जबरन छीन लिया जाता है। उन्होंने इसे पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया। भगवंत मान ने बीबीएमबी को “सफेद हाथी” करार देते हुए इसके पुनर्गठन की मांग की और कहा कि मौजूदा स्वरूप में यह बोर्ड पंजाब के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बोर्ड में अन्य राज्यों के कर्मचारी काम करते हैं, जिनका वेतन पंजाब देता है, और वही कर्मचारी पंजाब के खिलाफ काम करते हैं। भगवंत मान ने केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार पर मिलकर पंजाब के अधिकारों को छीनने का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा ने 6 अप्रैल को पीने के पानी के लिए 4,000 क्यूसिक पानी मांगा था, जिसे पंजाब ने मानवता के आधार पर दिया। उन्होंने कहा कि गुरुओं की सीख के अनुसार, प्यासे को पानी देना पुण्य का काम है। लेकिन अब हरियाणा 8,500 क्यूसिक पानी की मांग कर रहा है, जो पंजाब के पास नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब अब अपने हिस्से से एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं देगा। उन्होंने कहा कि केवल पीने के लिए जो पानी दिया जा रहा है, वही जारी रहेगा। मुख्यमंत्री ने बीजेपी द्वारा बीबीएमबी की अवैध बैठक बुलाने की निंदा करते हुए कहा कि पंजाब अब इस बोर्ड की किसी भी कानूनी हैसियत को नहीं मानेगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि 2021 तक केवल 22% खेतों तक नहर का पानी पहुंचता था, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 60% हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य में नहरों और सब-नहरों का बड़ा नेटवर्क खड़ा किया है ताकि हर खेत तक पानी पहुंच सके।
भगवंत मान ने कहा कि राज्य के डैम्स में पिछले साल की तुलना में इस बार 55 फीट कम पानी है। उन्होंने बताया कि हरियाणा ने मार्च तक अपना पूरा हिस्सा इस्तेमाल कर लिया था और पंजाब ने उन्हें 6 बार पत्र लिखकर सूचना दी थी।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस, अकाली दल और बीजेपी पर भी हमला बोलते हुए कहा कि इन पार्टियों ने पंजाब के साथ धोखा किया है और जल अधिकारों को नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि जल बंटवारे की समीक्षा हर 25 साल में होनी चाहिए और पंजाब को हरियाणा के जल में भी हिस्सा मिलना चाहिए।
उन्होंने डैम सेफ्टी एक्ट को राज्य के अधिकारों पर सीधा हमला बताया और कहा कि पंजाब को अपने डैम की रक्षा करने के लिए किसी और की जरूरत नहीं। भगवंत मान ने सभी दलों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आए और राज्य के अधिकारों की लड़ाई में साथ खड़े हुए, जो कि आज की सबसे बड़ी जरूरत थी।