
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को किसान नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठन नेताओं ने ग़ैर-कानूनी तरीके से छोटे किसानों से पैसे इकट्ठे कर, उससे बड़ी-बड़ी संपत्तियाँ बना ली हैं। इस बयान के बाद किसान संगठन नाराज़ हो गए और मुख्यमंत्री के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया देने लगे।
मुख्यमंत्री भगवंत मान इन दिनों बठिंडा के दो दिवसीय दौरे पर हैं। बुधवार को उन्होंने वहाँ पंचायत प्रतिनिधियों से एक बैठक की और कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने अकाली दल पर भी तंज कसा और कहा कि इन दिनों बादल और मजीठिया परिवार चुप है, क्योंकि उनकी बोलने की हिम्मत नहीं बची।
किसान नेताओं पर सीधा आरोप
सीएम मान ने कहा कि आजकल कुछ किसान यूनियन नेता फीस के नाम पर किसानों से पैसे वसूल रहे हैं, और फिर उन पैसों से होटल, अस्पताल और निजी संपत्तियाँ खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने इन नेताओं को लाइव बहस की खुली चुनौती दी और कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वो उनसे खेती संकट और किसानों की समस्याओं पर खुले मंच पर बात करें।
मान ने कहा, “किसान यूनियन और असली किसान अलग-अलग हैं। असली किसान खेतों में मेहनत करता है, जबकि कुछ यूनियन नेता संघर्ष के नाम पर सिर्फ अपने फायदे का धंधा चला रहे हैं।”
सड़कें और रेल रोकने पर सवाल
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ये यूनियन नेता बिना मतलब के मुद्दों पर सड़कें और ट्रेनें रोकते हैं, जिससे आम जनता को परेशानी होती है। उन्होंने सवाल किया कि जब बीबीएमबी और हरियाणा से पानी के झगड़े जैसे असली मुद्दे उठते हैं, तब ये नेता चुप क्यों रहते हैं?
बहस के लिए खुले मंच की पेशकश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसान नेताओं को आमंत्रित किया कि वे आकर किसी भी न्यूज़ चैनल या मंच पर उनसे खेती और किसान हितों से जुड़ी नीतियों पर बहस करें। उन्होंने यह भी साफ किया कि सरकार का इरादा किसानों के खिलाफ नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जो किसानों के नाम पर धोखाधड़ी और राजनीतिक एजेंडा चला रहे हैं।
मुख्यमंत्री के इस बयान से पंजाब में किसान राजनीति एक बार फिर चर्चा में आ गई है। किसान संगठन अब इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वाकई यह बहस होती है, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन इतना साफ है कि मुख्यमंत्री ने किसान आंदोलनों की पारदर्शिता और ईमानदारी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।