
पंजाब में नशे के खिलाफ मुहिम को और मजबूत करते हुए राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने चंडीगढ़ में एक विशाल नशा मुक्ति यात्रा की अगुवाई की। इस यात्रा में बड़ी संख्या में लोग, छात्र, समाजसेवी और राजनेता शामिल हुए। खास बात यह रही कि इस आयोजन में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी एक ही मंच पर नजर आए, जो अक्सर पानी के मुद्दे पर एक-दूसरे से टकराते देखे जाते हैं।
राज्यपाल की अपील – सभी जुड़ें मुहिम से
राज्यपाल कटारिया ने इस मौके पर कहा, “यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि पूरे समाज की मुहिम है। मैं चाहता हूं कि हर नागरिक इससे जुड़े और समाज को नशा मुक्त बनाने में योगदान दे।” उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि अगर हम आज इस लड़ाई को नहीं लड़ेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का संदेश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यात्रा में बोलते हुए कहा कि बच्चों की जिंदगी एक कोरे कागज की तरह होती है। जो भी उस पर लिख दिया जाता है, वह पूरी उम्र उनके साथ रहता है। उन्होंने बच्चों को समझाते हुए कहा, “अगर कोई आपको नशे की ओर धकेलता है, तो उसे नजरअंदाज न करें, बल्कि अपने माता-पिता या शिक्षकों से खुलकर बात करें। तभी आप इस बुराई से बच सकते हैं।”
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पंजाब सरकार ने ‘युद्ध नशों के खिलाफ’ नाम से एक अभियान चलाया हुआ है। अब जब पुलिस गांवों में जाती है, तो नशा बेचने वाले डरकर भाग जाते हैं। इससे यह साबित होता है कि सरकार की कोशिशों का असर दिखने लगा है।
दो राज्यों के नेताओं की एकजुटता
चंडीगढ़ में इस यात्रा के दौरान, पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री एक मंच पर आए। यह नजारा काफी खास रहा क्योंकि अक्सर दोनों राज्यों में पानी और दूसरे मुद्दों को लेकर मतभेद रहते हैं। लेकिन इस बार दोनों ने सामाजिक जिम्मेदारी को प्राथमिकता दी और मिलकर नशे के खिलाफ आवाज उठाई।
युवाओं के लिए बड़ा संदेश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने युवाओं से यह भी अपील की कि वे ऐसे गायकों और कलाकारों को अपना आदर्श न बनाएं जो नशे को बढ़ावा देने वाले गीत गाते हैं। उन्होंने कहा कि असली हीरो वह हैं जो समाज को सही दिशा दिखाते हैं और नशे से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं।
नशा मुक्ति यात्रा बनी जन आंदोलन की शुरुआत
राज्यपाल ने यात्रा के दौरान कहा कि आज जो संकल्प यहां लिया जा रहा है, वह एक जन आंदोलन की शुरुआत बन सकता है। अगर हर गांव, हर स्कूल और हर मोहल्ले में लोग मिलकर यह ठान लें कि नशे को जड़ से खत्म करना है, तो यह मुमकिन है।
चंडीगढ़ की इस नशा मुक्ति यात्रा ने यह साफ कर दिया है कि सरकार, समाज और आम नागरिक अगर मिलकर काम करें, तो नशे जैसी बुराई को रोका जा सकता है। यह मुहिम अब सिर्फ एक रैली नहीं रही, बल्कि एक जन आंदोलन का रूप ले रही है – जो युवाओं के भविष्य को बचाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।