
बीजिंग। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दौड़ में चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में DeepSeek-V3 नामक AI मॉडल ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह मॉडल OpenAI के ChatGPT की तरह ही काम करता है, जो विशाल डेटा सेट का विश्लेषण कर सवालों के सटीक जवाब देने में सक्षम है। चीन की इस नई तकनीक ने AI जगत में हलचल मचा दी है, लेकिन इसके साथ ही सेंसरशिप को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
चीन की सेंसरशिप, कुछ सवालों पर AI की चुप्पी
DeepSeek-V3 अपनी क्षमता के चलते वैश्विक स्तर पर चर्चा में है, लेकिन जब चीन से जुड़े संवेदनशील विषयों पर सवाल किए जाते हैं, तो यह कोई जवाब नहीं देता। उदाहरण के तौर पर, थ्येन आन मेन चौक नरसंहार, उइगुर मुसलमानों की स्थिति या चीन के सैन्य कार्यक्रमों पर सवाल पूछे जाने पर यह AI सिस्टम चुप्पी साध लेता है। यह साफ दर्शाता है कि चीन के AI मॉडलों पर सख्त सरकारी सेंसरशिप लागू है, जिससे इनकी जानकारी सीमित हो जाती है।
अलीबाबा की नई चुनौती, Qwen2.5-Max ने DeepSeek-V3 को पीछे छोड़ा
चीन की ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी दिग्गज अलीबाबा ने भी OpenAI के ChatGPT-4 को टक्कर देने के लिए अपना नया AI मॉडल Qwen2.5-Max लॉन्च किया है। अलीबाबा के मुताबिक, यह मॉडल DeepSeek-V3 सहित कई अन्य उन्नत AI मॉडलों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। खासतौर पर कोड जनरेशन और डेटा प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में इसने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
AI के क्षेत्र में अमेरिका-चीन की होड़
चीन के AI मॉडल्स की तेजी से हो रही प्रगति ने अमेरिका की AI श्रेष्ठता को चुनौती देना शुरू कर दिया है। OpenAI, Google और Microsoft जैसे अमेरिकी दिग्गज AI के क्षेत्र में वर्षों से अग्रणी रहे हैं, लेकिन अब चीन की कंपनियां भी तेजी से उभर रही हैं। DeepSeek-V3 और Qwen2.5-Max जैसे मॉडल्स ने यह दिखा दिया है कि चीन AI तकनीक के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
AI: इंसानों की तरह सोचने वाली मशीनें
AI, यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमें कंप्यूटर इंसानों की तरह सोचने और निर्णय लेने में सक्षम होता है। AI को इस तरह प्रशिक्षित किया जाता है कि वह नए पैटर्न सीख सके, डेटा का विश्लेषण कर सके और सही समाधान निकाल सके। उदाहरण के तौर पर, ChatGPT, Google Gemini और अब DeepSeek-V3 और Qwen2.5-Max जैसे मॉडल उसी सिद्धांत पर काम करते हैं।
भविष्य में क्या होगा?
चीन का AI क्षेत्र में विस्तार दिखाता है कि आने वाले समय में यह अमेरिका और अन्य देशों के लिए एक मजबूत प्रतिस्पर्धा बन सकता है। हालांकि, सेंसरशिप और पारदर्शिता की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अगर चीन अपने AI मॉडलों को खुली जानकारी तक पहुंचने की अनुमति देता है, तो यह AI तकनीक में नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।
AI की इस तेज रफ्तार दौड़ में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और चीन के बीच अगली तकनीकी क्रांति कौन सी होगी और इसका असर वैश्विक स्तर पर कैसे पड़ेगा।