
कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने पनामा में एक बैठक के दौरान यह कह दिया कि “बीजेपी सरकार ने पहली बार 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की थी।” इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने उनकी आलोचना की, क्योंकि यह कांग्रेस के पिछले दावों के खिलाफ था। हालांकि अब खबर आ रही है कि कांग्रेस नेतृत्व ने थरूर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का फैसला किया है।
क्या है मामला?
शशि थरूर ने पनामा में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत के दौरान बयान दिया कि 2016 में बीजेपी सरकार ने पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस पर पार्टी के भीतर ही हंगामा मच गया। कांग्रेस ने पहले कई बार यह कहा है कि यूपीए सरकार के दौरान भी ऐसे सैन्य ऑपरेशन किए गए थे। थरूर का बयान इस दावे के विपरीत था, जिससे पार्टी में असंतोष फैल गया।
थरूर की सफाई
बयान के बाद विवाद बढ़ा तो शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है और ट्रोल्स को ऐसा करने में मज़ा आता है, लेकिन उनके पास और भी जरूरी काम हैं। थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका बयान अतीत की लड़ाइयों पर नहीं, बल्कि भारत की मौजूदा आतंकवाद नीति पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि अब वे इस मुद्दे पर और समय नहीं देना चाहते।
कांग्रेस नेतृत्व का रुख
हालांकि थरूर के बयान से पार्टी में असहमति दिखी, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने विवाद को और न बढ़ाने का निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, थरूर की ओर से दी गई सफाई को पर्याप्त माना गया है और यही वजह है कि उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही। पार्टी का मानना है कि मीडिया का फोकस हटाना और विवाद को शांत करना इस समय ज्यादा जरूरी है।
रणदीप सुरजेवाला का बयान
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इस पूरे मामले पर बयान देते हुए कहा, “शशि थरूर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी परिवार का हिस्सा हैं।” उन्होंने माना कि थरूर से बयान देने में गलती हुई, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के भीतर कोई मनमुटाव नहीं है।
सुरजेवाला ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस सरकार के समय भी आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई थी। यूपीए शासन में कई बार सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन किए गए थे, जिससे पाकिस्तान को करारा जवाब मिला था। उन्होंने कहा, “हमने सिर्फ रिकॉर्ड को सही किया है।”
इस विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि राजनीतिक बयानबाजी किस तरह से दलों के बीच ही असहमति पैदा कर सकती है। हालांकि कांग्रेस ने इस मुद्दे को और न बढ़ाकर शांत करने का प्रयास किया है, लेकिन यह मामला एक बार फिर “कौन सा ऑपरेशन कब हुआ?” जैसे सवालों को हवा दे गया है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और कोई प्रतिक्रिया आती है या नहीं। फिलहाल कांग्रेस ने थरूर को माफ कर दिया है और विवाद को वहीं रोक दिया गया है।