तेलंगाना में शनिवार, 9 नवंबर 2024 को कांग्रेस सरकार ने राज्य का पहला जाति-आधारित सर्वेक्षण शुरू किया। यह ऐतिहासिक कदम कांग्रेस पार्टी के सामाजिक न्याय और हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने के वादे का हिस्सा माना जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक बड़ा बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने भाजपा सरकार पर जाति जनगणना के प्रति अनिच्छा का आरोप लगाया।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में लिखा, “मोदी जी, आज से तेलंगाना में जातिगत गिनती शुरू हो गई है। इस सर्वेक्षण से मिलने वाले डेटा का इस्तेमाल हम प्रदेश के हर वर्ग के विकास के लिए नीतियां बनाने में करेंगे। जल्द ही यह महाराष्ट्र में भी होगा। सबको पता है कि भाजपा देश में एक व्यापक जाति जनगणना नहीं करवाना चाहती है।” उन्होंने आगे कहा कि वह मोदी सरकार को साफ संदेश देना चाहते हैं कि देश भर में जातिगत जनगणना को रोक पाना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में उठाकर पारित कराएगी और आरक्षण पर 50% की सीमा को भी तोड़ देगी।
जाति सर्वेक्षण का उद्देश्य और कांग्रेस की रणनीति
तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार का यह जातिगत सर्वेक्षण समाज के प्रत्येक वर्ग की संख्या और उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। माना जा रहा है कि इस डेटा का उपयोग राज्य में नीति निर्माण में होगा, जिससे विभिन्न जातियों और वर्गों की स्थिति का मूल्यांकन कर उनके विकास के लिए योजनाएं बनाई जा सकेंगी। कांग्रेस के मुताबिक, यह सर्वेक्षण पार्टी के सामाजिक न्याय की नीति को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले, 5 नवंबर को कांग्रेस ने तेलंगाना में इस जाति सर्वेक्षण को लेकर एक विशेष बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में राहुल गांधी ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा था कि पार्टी देश में समानता की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
भाजपा पर राहुल गांधी का हमला
बैठक के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि प्रधानमंत्री ने अब तक सार्वजनिक रूप से यह क्यों नहीं कहा कि वह भारतीय समाज में व्याप्त भेदभाव को खत्म करने के लिए काम करना चाहते हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “प्रधानमंत्री यह पूछने से क्यों डरते हैं कि कॉरपोरेट, न्यायपालिका, मीडिया में कितने दलित, ओबीसी और आदिवासी लोग हैं?” राहुल गांधी का यह बयान सामाजिक न्याय और वर्ग समावेशिता को लेकर भाजपा और कांग्रेस के दृष्टिकोणों में अंतर को दर्शाता है।
तेलंगाना में 80,000 गणनाकर्ता करेंगे 1.17 करोड़ घरों का सर्वेक्षण
तेलंगाना सरकार का यह जातिगत जनगणना अभियान एक बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। राज्य के 33 जिलों में कुल 80,000 गणनाकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो आगामी कुछ हफ्तों में 1.17 करोड़ से अधिक घरों का सर्वेक्षण करेंगे। इस सर्वेक्षण के माध्यम से तेलंगाना सरकार हर जाति, वर्ग, और समुदाय की मौजूदा स्थिति का आकलन करेगी, ताकि जरूरत के अनुसार विकास योजनाएं बनाई जा सकें।
जाति जनगणना पर कांग्रेस का राष्ट्रीय दृष्टिकोण
कांग्रेस का मानना है कि भारतीय समाज में वास्तविक समता तभी लाई जा सकती है, जब हर वर्ग की संख्या और स्थिति को आंकड़ों के माध्यम से समझा जाए। जातिगत जनगणना कांग्रेस के इसी दृष्टिकोण का हिस्सा है। पार्टी का कहना है कि वे समाज के प्रत्येक वर्ग के समावेशी विकास की दिशा में एक स्थायी परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कांग्रेस के इस जातिगत जनगणना को लागू करने के फैसले को उसके आगामी चुनावी रणनीति के हिस्से के रूप में भी देखा जा रहा है।
भाजपा का रुख और राजनीति में उठते सवाल
राहुल गांधी के इस आक्रामक रुख के बाद भाजपा की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। भाजपा द्वारा जाति जनगणना के मुद्दे पर ठोस कदम न उठाने के कारण पार्टी पर कई विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं। जातिगत जनगणना का विषय देश की राजनीति में लंबे समय से चर्चा का मुद्दा बना हुआ है, विशेषकर सामाजिक न्याय के समर्थकों द्वारा इसे समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए जरूरी कदम बताया गया है।
जातिगत जनगणना पर मोदी सरकार का संभावित रुख
वर्तमान में भाजपा सरकार ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, बिहार में हाल ही में जाति आधारित जनगणना कराए जाने के बाद देश भर में इस मुद्दे पर चर्चा और तेज हो गई है। भाजपा की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है, जिससे विपक्षी दलों को इस पर सवाल उठाने का मौका मिल रहा है।