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आज पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य के जल अधिकारों को लेकर बड़ी राजनीतिक एकजुटता देखने को मिली। कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट तौर पर ऐलान किया कि वह पंजाब सरकार के साथ खड़ी है और पानी के मुद्दे पर किसी भी सियासी मतभेद से ऊपर उठकर साथ चलेगी। विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भावुक अपील करते हुए कहा कि यह समय सियासी लड़ाई का नहीं, बल्कि पंजाब की अस्मिता की रक्षा का है।
पंजाब के हित में एकजुटता की अपील
प्रताप बाजवा ने कहा, *”आज का दिन इतिहास में तबदील हो सकता है अगर हम सब मिलकर पंजाब के हक की इस लड़ाई को मजबूती से लड़ें। मैं अपील करता हूं कि सभी दल अपने-अपने मतभेदों को भुलाकर पंजाब के भविष्य के लिए एकजुट हो जाएं।”*
उन्होंने पंजाब सरकार को आश्वासन दिया कि विपक्षी दल भी इस संघर्ष में उनके साथ हैं। बाजवा ने कहा, *”मैं विपक्ष का नेता हूं लेकिन इस मुद्दे पर हम सब एक हैं। आप मजबूती से लड़िए, हम आपके साथ हैं।”*
केंद्र सरकार पर तीखा हमला
बाजवा ने केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि दिल्ली की सरकार लगातार पंजाब विरोधी फैसले ले रही है। उन्होंने *अग्निपथ योजना*, *तीन कृषि कानून*, *RDF (रूरल डेवेलपमेंट फंड)* की कटौती समेत कई मुद्दों का जिक्र किया और आरोप लगाया कि ये फैसले पंजाब को कमजोर करने के इरादे से लिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि *”BBMB (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) का हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का फैसला भी केंद्र का पंजाब के साथ एक और अन्याय है। इससे ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार पंजाब की एकता और अस्तित्व की परीक्षा लेना चाहती है।”*
भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट और डैम सेफ्टी एक्ट को रद्द करने की मांग
प्रताप सिंह बाजवा ने अपने भाषण में यह भी मांग की कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) से जुड़ा निर्णय और *डैम सेफ्टी एक्ट* को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए। उनका कहना था कि इन दोनों निर्णयों से पंजाब के जल अधिकारों को गंभीर नुकसान हो सकता है और यह राज्य की संप्रभुता पर हमला है।
उन्होंने विधानसभा में कहा, *”BBMB के माध्यम से पंजाब के जल संसाधनों को नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है। इससे न केवल राज्य की खेती बल्कि यहां की पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। डैम सेफ्टी एक्ट के जरिए केंद्र सरकार सीधे पंजाब के बांधों पर अधिकार चाहती है, जो संविधान की संघीय भावना के खिलाफ है।”*
इस विशेष सत्र में कांग्रेस द्वारा दिखाई गई एकजुटता और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा की गंभीर टिप्पणियों ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब की जल विवाद की लड़ाई अब सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि पूरे राज्य की है। सभी दलों ने यह संकेत दे दिया है कि जब बात पंजाब के हितों की होगी, तब वे अपने राजनीतिक मतभेद भुलाकर एक मंच पर आ सकते हैं।
क्या इस एकजुटता से पंजाब को अपने जल अधिकारों की लड़ाई में नई ताकत मिलेगी? यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा, लेकिन आज विधानसभा में जो माहौल बना, उसने उम्मीद जरूर जगा दी है।