
भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे ‘आप’ विधायक रमण अरोड़ा का मामला बुधवार को नया मोड़ ले गया। इस दिन दो गवाहों ने विजिलेंस विभाग के सामने अपने बयान दर्ज कराए, जिनके आधार पर अब मामला और गंभीर हो गया है। विजिलेंस ने इन गवाहों को बाद में माननीय अदालत में पेश किया, जहां उनके बयान भी न्यायाधीश के सामने दर्ज कराए गए। सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ दिनों में लगभग 8 लोग विजिलेंस विभाग पहुंचे और विधायक रमण अरोड़ा के खिलाफ अपने बयान दर्ज कराए। ये वे लोग हैं जिन्हें विधायक ने झूठे नोटिस भेजकर मानसिक रूप से परेशान किया और उनसे रिश्वत के तौर पर पैसे लिए।
गवाहों के बयान से खुला मामला
सूत्र बताते हैं कि पहली शिकायतकर्ता एक मशहूर ढाबा मालिक है। उसकी दुकान की निर्माण कार्य पहले रोक दी गई थी। बाद में उसे ATP (अधिकार प्राप्त प्राधिकरण) के पास भेजा गया और वहां किसी व्यक्ति की मदद से समझौता किया गया। इस समझौते के बदले उसे 8 लाख रुपये रिश्वत के रूप में देने पड़े। इस मामले में एक स्थानीय नेता का भी नाम सामने आया है, जिसकी जांच अभी जारी है।
दूसरी शिकायतकर्ता एक बेकरी मालिक है, जिसने एक महिला इंस्पेक्टर को 3 लाख रुपये दिए। बाद में उसे बताया गया कि यह पैसा विधायक रमण अरोड़ा को देना है। इसलिए बेकरी मालिक ने नगरीय निगम जाकर महिला इंस्पेक्टर को पैसे दिए। विजिलेंस अब इस महिला इंस्पेक्टर को जांच में शामिल कर रही है और उसे गिरफ्तार करने की तैयारी में है।
विधायक रमण अरोड़ा की स्थिति
वहीं, विधायक रमण अरोड़ा का बुधवार को अस्पताल में रूटीन चेकअप किया गया। सूत्र बताते हैं कि उन्हें विजिलेंस विभाग गुरुवार को अदालत में पेश करेगा और उनसे और अधिक समय (रिमांड) की मांग करेगा। क्योंकि आज विभाग ने पीड़ितों के बयान सीधे अदालत में दर्ज करा दिए हैं, जिससे केस की गंभीरता और बढ़ गई है।
मामले की पृष्ठभूमि
रमण अरोड़ा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जिसमें उन पर झूठे नोटिस भेजकर लोगों को परेशान करने और उनसे रिश्वत लेने का आरोप है। विजिलेंस विभाग की जांच में कई ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने इस भ्रष्टाचार के खेल का खुलासा किया है। अब मामला अदालत की ओर बढ़ रहा है और देखने वाली बात होगी कि विधायक इस पर क्या सफाई देते हैं।
जांच में नए तथ्य
इस मामले में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, वे काफी चिंताजनक हैं। पता चला है कि स्थानीय प्रशासन और कुछ नेताओं का भी इस मामले में हाथ है। विजिलेंस टीम ने शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज करने के बाद कार्रवाई तेज कर दी है। अब जांच की अगली कड़ी में संबंधित अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया जाएगा और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद
यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की गंभीरता को दर्शाता है। विजिलेंस विभाग ने साफ कर दिया है कि चाहे कोई भी पद पर हो, भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विधायक रमण अरोड़ा का मामला इस बात का उदाहरण है कि कानून के आगे कोई बड़ा या छोटा नहीं होता। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस मामले में न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा दी जाएगी।
जनता की निगाहें
इस पूरे मामले पर जनता की नजरें टिकी हुई हैं। आम लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि जो भी पद पर रहकर जनता के साथ धोखा करता है, उसे उचित सजा मिले। इस मामले में विजिलेंस की कार्रवाई से लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन भ्रष्टाचार मुक्त होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।