पंजाब राज भवन में एक मनमोहक और रूहानी सांस्कृतिक शाम का आयोजन किया गया, जिसमें पंजाब और कज़ाकिस्तान के बीच की सांस्कृतिक साझेदारी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कार्यक्रम ने कला, संगीत और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत किया।
राज्यपाल ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन
पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि संगीत और कला का प्रभाव सीमाओं से परे होता है। उन्होंने कहा, “संगीत आत्मा को प्रसन्न करता है और संस्कृतियों व सभ्यताओं को एकजुट करने का सबसे सशक्त माध्यम है।” राज्यपाल ने पर्यटन और सांस्कृतिक विभाग की इस पहल की सराहना की और इसे पंजाब की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रोत्साहित करने वाला कदम बताया।
कज़ाकिस्तान के कलाकारों का गर्मजोशी से स्वागत
कार्यक्रम के दौरान कज़ाकिस्तान के पारंपरिक नृत्य और संगीत ने दर्शकों का दिल जीत लिया। राज्यपाल ने कज़ाख कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पंजाब को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान देंगे।
पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर जोर
इस कार्यक्रम के दौरान पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री तरुनप्रीत सिंह सौंद ने पंजाब की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक धरोहर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पंजाब अपनी रूहानी संगीत, भंगड़ा, गिद्दा, और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। मंत्री ने कहा कि पंजाब की सांस्कृतिक विविधता हर पर्यटक को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है।
पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास
कैबिनेट मंत्री सौंद ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कर रही है। इनमें बेहतर बुनियादी ढांचे का निर्माण, कनेक्टिविटी में सुधार, और पर्यटकों को सुरक्षित एवं आरामदायक अनुभव प्रदान करने के प्रयास शामिल हैं। हरिमंदर साहिब, जलियांवाला बाग, और दुर्गियाणा मंदिर जैसे स्थलों को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
सांस्कृतिक साझेदारी का संदेश
सौंद ने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल कला और संस्कृति का आदान-प्रदान है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच वैश्विक सद्भावना और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि पंजाब सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह एक अनुभव है जहां इतिहास, संस्कृति, और आधुनिकता का संगम होता है।
भंगड़ा और गत्तके ने बांधा समां
कार्यक्रम के दौरान पंजाब के भंगड़े और गत्तके जैसे पारंपरिक नृत्य ने मंच पर जोश और ऊर्जा का संचार किया। कज़ाकिस्तान के पारंपरिक नृत्य और रूहानी संगीत ने इस सांस्कृतिक संध्या को और भी यादगार बना दिया। दोनों देशों के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उच्च अधिकारियों की उपस्थिति ने बढ़ाई शोभा
इस आयोजन में मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा, चंडीगढ़ के मुख्य सचिव राजीव वर्मा, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति ने इस शाम को और भी गौरवपूर्ण बना दिया। सभी ने इस सांस्कृतिक मेल को एक अद्भुत अनुभव बताया।
पंजाब राज भवन में आयोजित इस सांस्कृतिक संध्या ने कला और संस्कृति के माध्यम से पंजाब और कज़ाकिस्तान के बीच मजबूत संबंधों की नींव रखी। यह कार्यक्रम न केवल दोनों देशों के बीच दोस्ती को बढ़ावा देता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक साझेदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।