मारबर्ग वायरस इन दिनों अफ्रीकी देश रवांडा में कहर बरपा रहा है। इसे ब्लीडिंग आई वायरस भी कहा जाता है, क्योंकि संक्रमित व्यक्तियों की आंखों से खून निकलने लगता है। यह एक जानलेवा बीमारी है, जिससे अब तक सैकड़ों लोग संक्रमित हो चुके हैं और 15 लोगों की मौत हो चुकी है। इस वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए 17 देशों में अलर्ट जारी किया गया है। आइए जानते हैं इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय।
मारबर्ग वायरस के कारण
मारबर्ग वायरस इबोला वायरस फैमिली से संबंधित है और इससे वायरल हेमरेजिक फीवर होता है। यह एक जूनोटिक वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से इंसानों में फैलता है।
- चमगादड़ों से संपर्क: मारबर्ग वायरस मुख्य रूप से फ्रूट बैट्स (चमगादड़) से फैलता है। उनके खून, यूरिन, या लार के संपर्क में आने से यह वायरस इंसानों में प्रवेश करता है।
- संक्रमित व्यक्ति से संपर्क: यह वायरस इंसानों के बीच संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ जैसे खून, पसीना, लार, उल्टी, या मल-मूत्र के संपर्क में आने से फैलता है।
मारबर्ग वायरस के लक्षण
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मारबर्ग वायरस के लक्षण इबोला वायरस जैसे होते हैं।
- प्रारंभिक लक्षण:
- तेज बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- गले में खराश
- उल्टी और दस्त
- गंभीर लक्षण:
- शरीर के अंदरूनी हिस्सों में खून बहना (इंटरनल ब्लीडिंग)
- नाक, आंख, मुंह, या योनि से खून बहना
- ऑर्गन फेलियर
- वजन में अचानक गिरावट
- त्वचा पर रैशेज
- मेंटल कंफ्यूजन (मानसिक भ्रम)
मारबर्ग वायरस के खतरे
यह वायरस ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं) को नुकसान पहुंचाता है, जिससे शरीर में आंतरिक और बाहरी खून बहने लगता है। यदि समय पर इलाज न मिले, तो यह ऑर्गन फेलियर और मौत का कारण बन सकता है।
मारबर्ग वायरस से बचाव के उपाय
चूंकि मारबर्ग वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से फैलता है, इसलिए बचाव के लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी:
- संक्रमित व्यक्ति से संपर्क न करें।
- उनके शरीर के तरल पदार्थ (खून, पसीना, लार आदि) से दूर रहें।
- सुरक्षा उपाय अपनाएं:
- मास्क पहनें और नियमित रूप से सैनिटाइज़र या साबुन से हाथ धोएं।
- सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
- जानवरों से बचाव:
- चमगादड़ों और उनके आवासों से दूरी बनाए रखें।
- किसी भी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से बचें।
- सावधानियां अपनाएं:
- स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित रोगियों का इलाज करते समय पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) का इस्तेमाल करें।
- संक्रमित मरीजों के कपड़े, बिस्तर, या अन्य चीजों को छूने से बचें।
- स्वास्थ्य सेवा संपर्क:
- यदि किसी व्यक्ति में मारबर्ग वायरस के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
मारबर्ग वायरस का इतिहास
मारबर्ग वायरस पहली बार 1967 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट और सर्बिया के बेलग्रेड में पाया गया था। इसे तब अफ्रीका से लाए गए संक्रमित बंदरों के जरिए पहचाना गया। इसके बाद से यह समय-समय पर अफ्रीकी देशों में प्रकोप के रूप में देखा गया है।
मारबर्ग वायरस एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। इससे बचने के लिए सतर्क रहना और स्वास्थ्य नियमों का पालन करना आवश्यक है। सार्वजनिक जागरूकता, त्वरित चिकित्सा सेवा, और सुरक्षित व्यवहार अपनाकर इस खतरनाक वायरस के प्रकोप को रोका जा सकता है।