हरियाणा विधानसभा भंग होने के बाद, सभी दलों के विधायकों को सरकारी आवास खाली करने के लिए विधानसभा की ओर से लिखित में नोटिस दिया गया था। उन्हें 15 दिन के भीतर आवास खाली करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अगर कोई विधायक इस अवधि में आवास खाली नहीं करता है, तो उन्हें किराए की 150 गुणा राशि जमा करानी होगी। यह जुर्माना बहुत बड़ा है, और इसे माफ करने का अधिकार किसी भी अधिकारी, राजनेता, या हरियाणा के राज्यपाल को नहीं है। केवल पंजाब के राज्यपाल ही इस राशि को माफ कर सकते हैं ।
लेकिन अगर कोई विधायक दोबारा अपने क्षेत्र से निर्वाचित होता है, तो उनके द्वारा लिए गए एमएलए फ्लैट को उनके नाम से नियमित कर दिया जाता है। इसकी अनुमति विधानसभा अध्यक्ष की ओर से आसानी से प्रदान कर दी जाती है।
ये फ्लैट दो प्रकार के होते हैं
हरियाणा में एमएलए हॉस्टल के साथ-साथ एमएलए फ्लैट भी बनाए गए हैं। ये फ्लैट दो प्रकार के होते हैं – नए और पुराने। इन फ्लैट्स को विधायकों को अलॉट किया जाता है, जिसमें दो या तीन बेडरूम, ड्राइंगरूम, कीचन और शौचालय होते हैं। इन्हें अलॉट करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास होता है ।
आमतौर पर, जो विधायक मंत्री नहीं बन पाते और सत्ता पक्ष के होते हैं, वे एमएलए फ्लैट लेना पसंद करते हैं। विपक्ष के विधायकों की भी यही स्थिति होती है कि वे एमएलए फ्लैट लेकर संतुष्ट रहते हैं। इन फ्लैट्स में से कुछ चंडीगढ़ प्रशासन के अधीन आते हैं, जबकि कुछ हरियाणा सरकार के अधीन होते हैं ।
चंडीगढ़ के मध्य में स्थित होने के कारण, एमएलए फ्लैट से हरियाणा सचिवालय, हरियाणा विधानसभा, सुखना लेक और अन्य प्रमुख स्थान आसानी से पहुंचे जा सकते हैं।
विधायकों के लिए दो प्रकार के फ्लैट
हरियाणा विधानसभा के विधायकों के लिए दो प्रकार के फ्लैट उपलब्ध हैं। एमएलए हॉस्टल में 66 फ्लैट हैं, जिनमें 22 यूटी अधीन और 44 हरियाणा अधीन हैं। किराए के लिहाज से भी दो श्रेणियाँ हैं। हरियाणा सरकार देखरेख और मरम्मत का खर्च उठाती है। यूटी के 22 फ्लैटों का किराया 375 रुपये है, जिसमें 300 रुपये किराया और 75 रुपये गैराज व कर्मचारी कक्ष का किराया शामिल है।