दक्षिण कोरिया में 3 दिसंबर की रात राष्ट्रपति यून सुक-योल ने अचानक इमरजेंसी यानी मार्शल लॉ लागू करने का ऐलान किया। इसके पीछे उनकी मुख्य विपक्षी पार्टी पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप थे। हालांकि, इस फैसले का संसद और जनता दोनों ने जोरदार विरोध किया, जिसके चलते कुछ ही घंटों में राष्ट्रपति को अपने फैसले को वापस लेना पड़ा।
मार्शल लॉ क्यों लगाया गया?
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने देश की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने कहा कि पार्टी उत्तर कोरिया के साथ मिलकर देशविरोधी ताकतों का समर्थन कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास “देश की सुरक्षा के लिए” मार्शल लॉ लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति ने यह कदम अपनी घटती लोकप्रियता, संसद में विधेयकों को पास कराने में असफलता और विपक्षी दल से महाभियोग की धमकी से बचने के लिए उठाया।
मार्शल लॉ के बाद क्या हुआ?
मार्शल लॉ के ऐलान के तुरंत बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
सत्तारूढ़ और विपक्षी दल दोनों ने इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया।
राष्ट्रपति की अपनी पार्टी के नेता हैन डोंग-हून ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए संसद में मतदान का समर्थन किया।
हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली की मांग करने लगे।
संसद में मतदान के दौरान 300 में से 190 सांसदों ने मार्शल लॉ को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद राष्ट्रपति को इसे वापस लेना पड़ा।
दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ के प्रावधान
दक्षिण कोरिया के संविधान के अनुच्छेद 77 के तहत विशेष परिस्थितियों में मार्शल लॉ लागू किया जा सकता है।
इसे केवल सैन्य आवश्यकताओं या युद्ध जैसी स्थिति में लागू किया जा सकता है।
इमरजेंसी के दौरान सेना को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार दिए जाते हैं।
मीडिया और प्रकाशन पर प्रतिबंध लगते हैं, और फेक न्यूज या झूठे प्रचार पर रोक लगाई जाती है।
किसी भी प्रकार की हड़ताल पर पाबंदी रहती है, और उल्लंघन करने वालों को सजा दी जा सकती है।
मार्शल लॉ को हटाने के लिए संसद से प्रस्ताव पास कराना अनिवार्य होता है।
राष्ट्रपति यून के खिलाफ बढ़ता विरोध
मार्शल लॉ के फैसले के पीछे कई राजनीतिक और व्यक्तिगत विवाद छिपे हुए हैं:
राष्ट्रपति यून सुक-योल मई 2022 में सत्ता में आए थे, लेकिन विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी लगातार उनकी नीतियों का विरोध कर रही है।
उनकी सरकार कई बार संसद में कानून पास कराने में नाकाम रही है।
विपक्ष ने राष्ट्रपति पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए महाभियोग की मांग की।
राष्ट्रपति और उनकी पत्नी पर विवादों और घोटालों के आरोप भी लगाए गए हैं, जिसमें रिश्वतखोरी और शेयर बाजार में हेराफेरी शामिल है।
राष्ट्रपति की घटती लोकप्रियता
यून सुक-योल की जीत 2022 में हुई थी, लेकिन वह अपने प्रतिद्वंद्वी ली जे म्युंग को मात्र 0.7% वोटों के अंतर से हरा पाए थे। यह दक्षिण कोरिया में 1987 के बाद से सबसे कम जीत का अंतर था।
उनकी पत्नी पर भी कई घोटालों के आरोप हैं, जिसके लिए उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी।
जनता और संसद की जीत
मार्शल लॉ के ऐलान और उसके तुरंत बाद हुए विरोध ने दक्षिण कोरिया की लोकतांत्रिक शक्ति को उजागर किया। यह घटना इस बात का सबूत है कि देश में संवैधानिक और जनतांत्रिक मूल्यों का सम्मान अब भी सर्वोपरि है।