भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले कुछ हफ्तों से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 17.76 अरब डॉलर घटकर 657.89 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। यह गिरावट सितंबर के अंत में दर्ज किए गए 704.88 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर से करीब 47 अरब डॉलर की कमी को दर्शाती है।
पिछले हफ्ते भी दर्ज हुई थी गिरावट
इससे पहले 8 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भी विदेशी मुद्रा भंडार में 6.47 अरब डॉलर की कमी आई थी, जिससे भंडार 675.65 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। इस लगातार गिरावट ने देश की अर्थव्यवस्था के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा दिया है।
सर्वकालिक उच्च स्तर से 47 अरब डॉलर कम हुआ भंडार
सितंबर के आखिर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर था। यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना गया था। हालांकि, इसके बाद से इसमें गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया। अब तक, विदेशी मुद्रा भंडार 46.99 अरब डॉलर की कमी के साथ 657.89 अरब डॉलर पर आ गया है।
फॉरेन करेंसी असेट्स में 15.55 अरब डॉलर की गिरावट
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे अहम हिस्सा माने जाने वाले फॉरेन करेंसी असेट्स में 15.55 अरब डॉलर की गिरावट आई है। यह 569.83 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
फॉरेन करेंसी असेट्स में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का असर शामिल होता है। हाल के हफ्तों में विभिन्न विदेशी मुद्राओं के कमजोर प्रदर्शन और डॉलर की मजबूती का असर भारत के फॉरेन करेंसी असेट्स पर भी पड़ा है।
गोल्ड रिजर्व और एसडीआर में भी कमी
समीक्षाधीन सप्ताह में देश के गोल्ड रिजर्व में 2.07 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। अब यह घटकर 65.75 अरब डॉलर पर आ गया है।
इसके अतिरिक्त, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) में भी कमी देखी गई। यह 9.4 करोड़ डॉलर घटकर 18.06 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास भारत के रिजर्व में भी 5.1 करोड़ डॉलर की गिरावट हुई, जिससे यह 4.25 अरब डॉलर रह गया।
गिरावट के संभावित कारण
विदेशी मुद्रा भंडार में इस गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने अन्य मुद्राओं की वैल्यू को प्रभावित किया है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है।
- आयात में वृद्धि: भारत में आयात की लागत बढ़ने से विदेशी मुद्रा का तेजी से उपयोग हुआ है।
- वैश्विक आर्थिक हालात: अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता और अन्य देशों के साथ व्यापारिक समीकरण भी इस गिरावट का कारण हो सकते हैं।
- भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन: भारतीय रुपये में कमजोरी के चलते भी विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है।
क्या है भविष्य की रणनीति?
भारतीय रिजर्व बैंक इस स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है। विशेषज्ञों का मानना है कि भंडार में गिरावट को रोकने और मुद्रा को स्थिर बनाए रखने के लिए आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है।
इसके अलावा, निर्यात को बढ़ावा देने और आयात को नियंत्रित करने के लिए सरकार विभिन्न नीतियां लागू कर सकती है।
निवेशकों के लिए संदेश
हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट ने चिंता बढ़ाई है, लेकिन 657.89 अरब डॉलर का भंडार अभी भी भारत के लिए मजबूत सुरक्षा कवच है। यह भंडार आयात के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अस्थिरताओं से निपटने में सक्षम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और आने वाले समय में स्थिति में सुधार की उम्मीद है।