
गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 201 अंकों की गिरावट के साथ 73,828.91 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 73 अंकों की गिरावट के साथ 22,397.20 पर आ गया।
हालांकि, पिछले पांच दिनों में सेंसेक्स में केवल 0.70% की मामूली गिरावट देखी गई है, जिससे यह बड़ी गिरावट से बचने में सफल रहा। दूसरी ओर, निफ्टी 50, जो मार्च में अब तक 1.2% की बढ़त दर्ज कर चुका था, लगातार दूसरे दिन नुकसान में रहा।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट जारी
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.77% गिर गया, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.62% की गिरावट दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों के शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी फिलहाल कमजोर बनी हुई है।
निवेशकों को ₹2 लाख करोड़ का नुकसान
इस गिरावट का सीधा असर बाजार पूंजीकरण पर पड़ा। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार मूल्य ₹393 लाख करोड़ से घटकर ₹391 लाख करोड़ हो गया, जिससे निवेशकों को करीब ₹2 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।
किन कारणों से आई गिरावट?
1. वैश्विक बाजारों का असर – दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है।
2. मुनाफावसूली – हाल ही में बाजार में अच्छी तेजी देखने को मिली थी, जिसके बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी।
3. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में दबाव – छोटे और मध्यम कंपनियों के शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी कम हो रही है, जिससे बाजार में गिरावट आ रही है।
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन लंबे समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत रहने की उम्मीद है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सोच-समझकर निवेश करें और छोटी अवधि की गिरावट से घबराने के बजाय लंबी अवधि के दृष्टिकोण से निवेश करें।
हालांकि, आने वाले दिनों में ग्लोबल इकोनॉमिक ट्रेंड, विदेशी निवेशकों की गतिविधियां और घरेलू कारकों पर नजर रखना जरूरी होगा, जिससे बाजार की दिशा तय होगी।