दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार ज़ोरों पर है और सभी राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इसी कड़ी में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र के मजनू का टीला में आम आदमी पार्टी (AAP) के समर्थन में एक बड़ी चुनावी रैली की। इस दौरान भगवंत मान के साथ मशहूर सिंगर मीका सिंह भी नजर आए और दोनों ने मिलकर एक गाना गाया, जिससे भीड़ में जबरदस्त जोश भर गया।
भगवंत मान और मीका सिंह की जोड़ी ने जमाया रंग
जनसभा के दौरान भगवंत मान ने अपनी खास शैली में जनता को संबोधित किया। जब मीका सिंह मंच पर पहुंचे, तो माहौल और भी ज्यादा गर्म हो गया। भगवंत मान और मीका सिंह ने साथ में गाना गाया, जिसे सुनकर भीड़ में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद भी एक मशहूर कॉमेडियन और सिंगर रह चुके हैं। राजनीति में आने से पहले वे अपने कॉमिक अंदाज और मज़ाकिया गानों के लिए जाने जाते थे। इसलिए जब उन्होंने मीका सिंह के साथ सुर मिलाया, तो लोग झूम उठे।
AAP प्रत्याशी पुनरदीप साहनी के लिए मांगे वोट
यह चुनावी रैली AAP उम्मीदवार पुनरदीप साहनी के समर्थन में आयोजित की गई थी, जो चांदनी चौक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सतीश जैन को मैदान में उतारा है। इस सीट पर कड़ी टक्कर मानी जा रही है और आम आदमी पार्टी इसे जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।
भगवंत मान ने अपने भाषण में कहा कि AAP सरकार ने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे एक बार फिर आम आदमी पार्टी को जिताकर दिल्ली में अच्छे कामों को जारी रखने का मौका दें।
चुनावी माहौल में बढ़ी गर्मी
दिल्ली चुनाव के नजदीक आते ही सभी पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं और अपने उम्मीदवारों के पक्ष में जनसभाएं कर रही हैं।
✔ AAP जहां अपने विकास कार्यों का जिक्र कर रही है, वहीं
✔ BJP कानून-व्यवस्था और केंद्र की नीतियों को लेकर चुनाव लड़ रही है।
लेकिन इस चुनावी माहौल में भगवंत मान और मीका सिंह की मस्तीभरी जुगलबंदी ने एक अलग ही रंग जमा दिया। चुनावी रैलियों में अक्सर गंभीर भाषण होते हैं, लेकिन यह रैली लोगों के लिए एक मनोरंजन से भरपूर अनुभव बन गई।
जनता के मूड पर होगा असर?
मीका सिंह और भगवंत मान की यह अनोखी जुगलबंदी AAP के प्रचार को कितना फायदा पहुंचाएगी, यह तो 8 फरवरी को मतगणना के दिन पता चलेगा। लेकिन एक बात साफ है कि इस तरह की अनोखी रैलियां जनता के बीच चर्चा का विषय जरूर बन जाती हैं और चुनावी माहौल में हल्के-फुल्के पलों को जोड़ देती हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या यह ऊर्जा वोटों में बदलती है या नहीं!