दिल्ली में विधानसभा चुनाव का प्रचार सोमवार (3 फरवरी) को समाप्त हो गया। अब सभी पार्टियां 5 फरवरी को होने वाले मतदान और 8 फरवरी को आने वाले नतीजों का इंतजार कर रही हैं। इसी बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी (Atishi) ने कालकाजी विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी के बेटे मनीष बिधूड़ी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
क्या है पूरा मामला?
आतिशी ने दावा किया कि रमेश बिधूड़ी के बेटे मनीष बिधूड़ी कुछ अन्य लोगों के साथ कालकाजी के जेजे कैंप और गिरिनगर इलाके में लोगों को धमका रहे थे। उन्होंने कहा कि यह घटना चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद साइलेंस पीरियड (मतदान से पहले का समय, जब कोई प्रचार नहीं कर सकता) में हुई। साइलेंस पीरियड के दौरान किसी बाहरी व्यक्ति को विधानसभा क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं होती।
पुलिस में शिकायत, मनीष बिधूड़ी हिरासत में
आतिशी ने प्रशासन को इसकी सूचना दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और मनीष बिधूड़ी को हिरासत में ले लिया। उन्होंने कहा, “हमें जानकारी मिली थी कि रमेश बिधूड़ी की तुगलकाबाद टीम का कोई व्यक्ति जेजे कैंप और गिरिनगर में लोगों को धमका रहा है। जब हमने वहां जाकर देखा, तो मनीष बिधूड़ी और 3-4 बाहरी लोग वहां मौजूद थे। हमने तुरंत पुलिस को सूचित किया और अब पुलिस ने कार्रवाई की है।”
क्या कहता है कानून?
भारत के चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, मतदान से पहले का समय “मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट” के तहत आता है। इसमें प्रचार खत्म होने के बाद उम्मीदवारों और बाहरी लोगों को क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं होती, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें। अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है, तो चुनाव आयोग सख्त कार्रवाई कर सकता है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पुलिस इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कालकाजी विधानसभा के मतदाताओं के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को वहां आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
इस मामले पर बीजेपी की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा गर्मा गया है। चुनाव से पहले इस तरह के आरोपों ने माहौल और भी गरमा दिया है।
दिल्ली चुनाव में बढ़ी सियासी सरगर्मी
दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (INC) के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। ऐसे में चुनाव से पहले धमकी देने का मामला चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि पुलिस और चुनाव आयोग इस मामले में क्या कार्रवाई करेंगे।