दिल्ली में आज नगर निगम (MCD) के महापौर (Mayor) और उप महापौर (Deputy Mayor) का चुनाव होने जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में नगर निगम की सत्ता बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, और इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सीधा मुकाबला है। दोनों पार्टियां मेयर पद पर अपना कब्जा जमाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं। यह चुनाव सिविक सेंटर में दोपहर 2 बजे शुरू होगा। इस चुनाव के लिए बीजेपी की पार्षद और पूर्वी दिल्ली की पूर्व महापौर सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। वह चुनाव प्रक्रिया की देखरेख करेंगी।
प्रत्याशी और मुकाबला
मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी के देवनगर से पार्षद महेश खिंची और बीजेपी के शकूरपुर से पार्षद किशन लाल के बीच मुकाबला है। वहीं, उप महापौर पद के लिए आम आदमी पार्टी के अमन विहार से पार्षद रविंदर भारद्वाज और बीजेपी की सादतपुर से पार्षद नीता बिष्ट के बीच सीधी टक्कर है। भले ही बीजेपी के पास बहुमत नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं।
चुनाव प्रक्रिया में बदलाव
महापौर और उप महापौर के चुनाव में इस बार कुछ बदलाव किए गए हैं। मतदान बैलेट पेपर के जरिए होगा और वोटिंग के लिए पार्षद और अन्य सदस्य मतदान करेंगे। इस बार मतदान बूथ में पर्दा नहीं रहेगा, बल्कि खुले बॉक्स में वोट डाले जाएंगे। यह कदम चुनाव में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, वोट की गोपनीयता बनी रहेगी, लेकिन वोट डालने वाले सदस्य की गतिविधियों पर अन्य पार्षदों की नजर रहेगी। चुनाव के दौरान सदन में मोबाइल फोन ले जाने पर पाबंदी लगाई गई है, और सुरक्षा को लेकर सख्त इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे।
प्रवेश और सुरक्षा व्यवस्था
चुनाव के दिन नगर निगम मुख्यालय के ए ब्लॉक में केवल पार्षदों, वोटरों और चुनाव से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों को ही प्रवेश की अनुमति होगी। पार्षदों के कार्यकर्ताओं या अन्य लोगों को प्रवेश नहीं मिलेगा। महापौर और उप महापौर चुनाव में पार्षदों के अलावा नामांकित विधायक और सांसद भी हिस्सा ले सकते हैं, जबकि एल्डरमैन को मतदान का अधिकार नहीं होता है।
पक्ष-विपक्ष के आंकड़े
एमसीडी में 250 सीटों में से आम आदमी पार्टी के पास 125 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 113 सीटें हैं। इसके अलावा, कांग्रेस के आठ और तीन निर्दलीय पार्षद भी हैं। दिल्ली नगर निगम में पिछले चुनाव के बाद से बार-बार विवाद और आपसी टकराव के कारण यह चुनाव सात महीने की देरी से हो रहा है। आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच बार-बार हुए टकराव के चलते एमसीडी में कई बैठकें बाधित हुई हैं। ऐसे में इस चुनाव के नतीजे न सिर्फ दोनों पार्टियों के लिए अहम होंगे, बल्कि दिल्ली के राजनीतिक समीकरणों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
चुनाव के दौरान किसी भी विवाद या टकराव की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली पुलिस के साथ अर्द्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया है ताकि चुनाव प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। पार्षदों की वोटिंग में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव अधिकारी सत्या शर्मा पूरी प्रक्रिया की देखरेख करेंगी।
चुनाव के नतीजे और राजनीतिक मायने
महापौर और उप महापौर के चुनाव के नतीजे दिल्ली की सियासत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह न केवल एमसीडी में सत्ता के समीकरण को तय करेगा, बल्कि आने वाले चुनावों में पार्टियों की रणनीति पर भी इसका असर पड़ेगा। आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर है, जबकि बीजेपी इस चुनाव में अपना दबदबा बनाने की कोशिश में है।
अब सभी की निगाहें इस चुनाव के परिणामों पर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली नगर निगम के सत्ता के समीकरण कैसे बनते हैं और इसका दिल्ली की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।