दिल्ली पुलिस ने रविवार को खुलासा किया कि रोहिणी के दो स्कूलों को भेजे गए बम धमकी वाले ईमेल उनके ही छात्रों द्वारा भेजे गए थे। पुलिस के अनुसार, यह धमकी भरे ईमेल उन छात्रों ने भेजे थे, जो परीक्षा के लिए तैयार नहीं थे और इसे टालने के लिए इस तरह का कदम उठाया था।
पुलिस का बयान और जांच की जानकारी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपनी जांच में पाया कि दोनों स्कूलों को भेजे गए धमकी भरे ईमेल अलग-अलग छात्रों ने भेजे थे। पुलिस ने बताया कि दोनों छात्रों ने परीक्षा से बचने के लिए यह कदम उठाया था। इस मामले में पुलिस ने कहा, “चूंकि आरोपी दोनों ही छात्र हैं, इसलिए उन्हें काउंसलिंग दी गई और फिर छोड़ दिया गया।”
पहला मामला: पश्चिम विहार के स्कूल का
14 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने पश्चिम विहार के एक निजी स्कूल के छात्र को बॉम्ब ब्लास्ट की धमकी भरा ईमेल भेजने के मामले में पकड़ा। पुलिस के मुताबिक, इस छात्र ने अपने ही स्कूल को धमकी भरा ईमेल भेजा था। आईपी एड्रेस का पता लगाकर पुलिस ने छात्र के घर का पता लगाया। पूछताछ के दौरान, छात्र ने अपनी गलती स्वीकार की। पुलिस ने उसे चेतावनी दी और उसके माता-पिता को उसकी निगरानी रखने के निर्देश दिए।
धमकी भरे ईमेल का सिलसिला
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, 14 और 17 दिसंबर को दिल्ली के कई अन्य स्कूलों को भी बम धमकी वाले ईमेल मिले थे। इससे पहले, 13 दिसंबर को दिल्ली के 30 स्कूलों को इसी तरह की धमकियों वाले ईमेल भेजे गए थे। इन ईमेल में बम धमाके की आशंका जताई गई थी, जिससे स्कूल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गई थीं।
अरविंद केजरीवाल की चिंता
13 दिसंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्कूलों को बार-बार मिल रही बम धमकियों पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि ऐसी घटनाएं न केवल बच्चों की पढ़ाई पर असर डाल सकती हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि यह स्थिति बच्चों के लिए नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
दिल्ली हाई कोर्ट का निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 नवंबर को दिल्ली सरकार और पुलिस को निर्देश दिया था कि वे बम धमकियों और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार करें। हाई कोर्ट ने इसे पूरा करने के लिए आठ सप्ताह की समय सीमा तय की थी। कोर्ट का यह निर्देश इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लेने और उनकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के उद्देश्य से था।
इस घटनाक्रम से यह साफ होता है कि बच्चों द्वारा परीक्षा के डर को छिपाने के लिए इस तरह की गलत हरकतें की जा रही हैं, जो न केवल उनके भविष्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक चुनौती बन रही हैं। ऐसी घटनाओं को लेकर पुलिस और स्कूल प्रशासन को अत्यधिक सतर्क रहना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की धमकियों से बचा जा सके और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।