
कनाडा अब विदेशी कामगारों, छात्रों और पर्यटकों के लिए अपने दरवाजे धीरे-धीरे बंद कर रहा है। हाल ही में जारी सरकारी आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। कनाडा के प्रमुख अखबार ‘टोरंटो स्टार’ के अनुसार, देश में वीजा रिजेक्शन दर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। 2024 में 23.5 लाख वीजा आवेदन खारिज कर दिए गए, जो कि कुल आवेदनों का 50% है।
वीजा रिजेक्शन दर में इजाफा क्यों?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में 18 लाख वीजा आवेदन खारिज हुए थे, जो कुल आवेदनों का 35% था। लेकिन अब यह आंकड़ा 50% तक पहुंच चुका है। इसकी मुख्य वजहें हैं:
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कनाडा में रहने का बढ़ता खर्च
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रहने के लिए घरों की कमी (हाउसिंग क्राइसिस)
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विदेशी लोगों के आने से स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ता दबाव
इन वजहों से कनाडाई सरकार ने फैसला किया है कि वह कम से कम विदेशियों को देश में प्रवेश देगी। यही कारण है कि सभी प्रकार के वीजा आवेदनों की अस्वीकृति दर बढ़ गई है।
हर वीजा कैटेगरी में बढ़ा रिजेक्शन रेट
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विज़िटर वीजा:
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कनाडा में काम करने वाले विदेशी श्रमिकों को यात्रा या परिवार से मिलने के लिए विज़िटर वीज़ा की जरूरत होती है।
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2024 में 54% विज़िटर वीजा आवेदन खारिज हो गए, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 40% था।
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स्टूडेंट वीजा:
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कनाडा में पढ़ाई के लिए स्टूडेंट वीजा लेना पहले आसान था, लेकिन अब मुश्किल होता जा रहा है।
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2024 में 52% स्टूडेंट वीजा रिजेक्ट हुए, जबकि 2023 में यह दर 38% थी।
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स्टूडेंट वीजा आवेदनों में 46% की गिरावट आई है। 2023 में 8.68 लाख आवेदन आए थे, जबकि 2024 में यह घटकर 4.69 लाख रह गए।
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कम छात्रों को वीजा मिलने से कनाडा की शिक्षा प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है।
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वर्क परमिट:
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यहां थोड़ी राहत मिली है, लेकिन फिर भी 22% आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया गया।
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कनाडा की नई इमिग्रेशन पॉलिसी
कनाडा सरकार ने 2025 से 2027 के बीच नए स्थायी निवासियों की संख्या 20% तक कम करने का फैसला किया है।
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2025 में सिर्फ 3,95,000 लोगों को ही स्थायी निवास दिया जाएगा, जो पहले की तुलना में काफी कम है।
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सरकार किसी भी तरह से विदेशी नागरिकों की संख्या घटाना चाहती है और इसके लिए कड़े कदम उठा रही है।
दूसरे देशों में भी दिख रहा यही रुझान
यह सिर्फ कनाडा तक सीमित नहीं है।
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ऑस्ट्रेलिया, यू.के. और अमेरिका भी अब स्टूडेंट वीजा और इमिग्रेशन को लेकर सख्ती बरत रहे हैं।
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ये देश अब योग्यता, स्किल और देश की जरूरतों के आधार पर ही वीजा दे रहे हैं।
कनाडा में विदेशी छात्रों, श्रमिकों और पर्यटकों के लिए वीजा पाना पहले से ज्यादा मुश्किल हो गया है। बढ़ती महंगाई, हाउसिंग क्राइसिस और हेल्थकेयर सिस्टम पर दबाव के चलते कनाडा सरकार ने सख्त फैसले लिए हैं। आने वाले सालों में यह और भी मुश्किल हो सकता है, जिससे लाखों लोगों के सपनों पर असर पड़ सकता है।