दीपावली का पांच दिवसीय महोत्सव इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है, जो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, जिनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर नगर को रौशन किया था। इसी परंपरा के तहत हर साल दीपों का यह महापर्व बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं दीपावली पर्व की तिथियां, पूजा विधि, और शुभ मुहूर्त।
दिवाली पर्व का पंचांग और विशेष तिथियां
इस बार दीपोत्सव का पर्व धनतेरस से शुरू हुआ, जो 29 अक्टूबर को मनाया गया। इसके बाद 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) और 31 अक्टूबर को मुख्य दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को और भाई दूज 3 नवंबर को होगी, जो इस दीपोत्सव के समापन का दिन होगा।
धनतेरस: 29 अक्टूबर
नरक चतुर्दशी: 30 अक्टूबर
मुख्य दिवाली: 31 अक्टूबर
गोवर्धन पूजा: 2 नवंबर
भाई दूज: 3 नवंबर
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 03:52 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर को शाम 06:16 बजे समाप्त होगी। इस दौरान लक्ष्मी पूजा का प्रमुख मुहूर्त निम्नलिखित है:
शाम का शुभ मुहूर्त: 05:36 से 06:16 बजे तक
वैकल्पिक मुहूर्त: 06:27 से 08:32 बजे तक
निशिता काल पूजा मुहूर्त: रात 11:39 से 12:31 बजे तक
दीपावली पूजन विधि
दिवाली के दिन शाम के शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। इस दिन का विशेष महत्व है, इसलिए विधि-विधान से लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन करना अति आवश्यक है।
1. मंदिर और घर की साफ-सफाई: लक्ष्मी पूजन के पहले घर और मंदिर की पूरी सफाई कर लें। विशेषकर ईशान कोण, जहां देवी-देवताओं का स्थान माना गया है।
2. पूजन स्थान की तैयारी: लकड़ी की एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति रखें। साथ ही लक्ष्मी, गणेश और कुबेर देवता की एक तस्वीर भी लगाएं।
3. पंचदेव की स्थापना: पूजन में पंचदेव – सूर्यदेव, विष्णुजी, शिव-गौरी, श्रीगणेश और लक्ष्मी की स्थापना करें। सभी देवी-देवताओं के समक्ष धूप और दीप जलाएं और गंगाजल छिड़कें।
4. कलश की स्थापना: चौकी पर एक जल से भरा कलश रखें। इसमें कौड़ियां, सुपारी, सिक्के और गंगाजल डालें। कलश के ऊपर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और मोली लपेट दें। कलश पर आम के पत्ते लगाएं और मिट्टी के बड़े दीपक से ढक दें, जिसमें चावल रखें। इस दीपक पर जटा नारियल लपेटकर रखें।
5. लक्ष्मी पूजन सामग्री: मां लक्ष्मी के समक्ष लाल कपड़े की थैली में 5 कौड़ी, 5 गोमती चक्र, हल्दी की गांठ और बादाम रखें। पूजा के बाद इसे तिजोरी या लॉकर में रखें, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।
6. पूजा सामग्री और अर्पण: भगवान को खील-बताशे, कमल का फूल, पंचमेवा, और फल-फूल अर्पित करें। धनतेरस पर लाए गए सामान की भी पूजा करें।
7. दीप प्रज्वलन: गणेश जी, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता के सामने घी का 5 या 11 दीपक जलाएं। इसके बाद घर के हर कोने में सरसों के तेल का दीपक जलाएं, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
8. मंत्र जाप और स्तुति: पूजा के दौरान गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ और मां लक्ष्मी के लिए श्री सूक्तम का पाठ करें। कुबेर जी की स्तुति भी करें, जिससे आर्थिक समृद्धि बनी रहे। पूजा के अंत में हुई किसी भी गलती के लिए देवी-देवताओं से क्षमाप्रार्थना करें और परिवार की सुख-शांति और उन्नति की कामना करें।
दिवाली पर्व का महत्व
दिवाली का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व सच्चाई, समृद्धि और आत्मज्ञान का प्रतीक है। इसे धन, समृद्धि, उजाला और ज्ञान के आगमन का पर्व माना जाता है। दीपावली पर घर को दीपों से सजाकर हम अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा लेते हैं।
भगवान राम के अयोध्या आगमन की याद में, इस पर्व पर सभी अयोध्यावासी और पूरे भारतवासी अपने घरों को रोशन करते हैं। इस अवसर पर लोग आपसी द्वेष और कटुता को दूर कर एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सौहार्द का प्रदर्शन करते हैं। दिवाली का यह पर्व हमें जीवन में नई ऊर्जा और नई शुरुआत करने की प्रेरणा देता है।
इस दीपावली आप भी अपने घर में पूजा विधि और शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए लक्ष्मी पूजन करें। साथ ही घर को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखें, जिससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद आपके जीवन में सदा बना रहे।