दिल्ली समेत पूरे भारत में इस साल दिवाली का पर्व बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। लोगों ने दिवाली की तैयारियों में जोर-शोर से खरीदारी की, जिससे बाजारों में रौनक दिखाई दी और देश के व्यापार में रिकॉर्ड तोड़ उछाल दर्ज हुआ। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, दिवाली के दौरान कुल 4.25 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। कैट के प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि इस साल के कारोबार ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
भारतीय सामानों को प्राथमिकता, वोकल फॉर लोकल का प्रभाव
इस दिवाली, लोगों ने भारतीय सामानों की खरीदारी पर अधिक जोर दिया, जिससे छोटे व्यापारियों और कारीगरों को लाभ हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” आह्वान का व्यापक प्रभाव देखने को मिला, क्योंकि लोगों ने चीनी उत्पादों को छोड़कर भारतीय हस्तशिल्प, मिट्टी के दीप, सजावट के सामान और भारतीय कारीगरों के बनाए गए उत्पादों की खरीदारी की। छोटे व्यापारी, कुम्हार, कलाकार और हस्तशिल्पियों की भी दिवाली पर खूब चांदी रही। मिट्टी के दीये, गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं, हस्तनिर्मित सजावट के सामान, तथा उपहार के लिए हैंडिक्राफ्ट आइटम्स की भारी मांग रही।
बाजारों में जमकर हुई खरीदारी, कारोबारियों में खुशी की लहर
दिवाली के दौरान बाजारों में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ी, जिसने व्यापारियों में खुशी की लहर पैदा कर दी। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि इस बार दिवाली पर भारतीय उत्पादों की बिक्री में व्यापक वृद्धि हुई है, जिससे छोटे और मझोले व्यापारी लाभान्वित हुए हैं। उपभोक्ताओं ने इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल फोन, घर की सजावट, और रसोई के सामान के साथ-साथ घरेलू साज-सज्जा, उपहार वस्तुएं, ज्वेलरी, मेकअप, कॉस्मेटिक्स, और फुटवियर जैसी वस्तुओं की भी जमकर खरीदारी की। इस बार पैकिंग उद्योग को भी बड़ा बूस्ट मिला, क्योंकि उपहारों और मिठाई के पैकिंग के लिए नई तकनीक और डिजाइनों का उपयोग किया गया।
दिवाली पर व्यापार ने कैसे लगाई छलांग?
कैट की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली के 4.25 लाख करोड़ रुपये के कुल व्यापार में विभिन्न क्षेत्रों का अलग-अलग योगदान रहा। खाद्य और किराना व्यापार ने लगभग 13 प्रतिशत, जबकि ज्वेलरी का 9 प्रतिशत, कपड़ों का 12 प्रतिशत, ड्राई फ्रूट और मिठाई का 4 प्रतिशत योगदान रहा। इसके अलावा, 3 प्रतिशत घरेलू साज-सज्जा, 6 प्रतिशत कॉस्मेटिक्स, 8 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल, 3 प्रतिशत पूजा सामग्री, और बर्तन तथा रसोई के सामान का 3 प्रतिशत योगदान रहा। फर्निशिंग और फर्नीचर का 4 प्रतिशत, ऑटोमोबाइल्स और हार्डवेयर का 2 प्रतिशत और गिफ्ट आइटम्स का 8 प्रतिशत हिस्सा रहा।
इस तरह से सभी प्रकार की वस्तुओं में बढ़ी हुई मांग ने देश के व्यापार को बूस्ट दिया। इलेक्ट्रॉनिक्स और गिफ्ट आइटम्स के साथ-साथ कास्मेटिक्स और मेकअप उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हुई, जो इस बार के दिवाली ट्रेंड को दर्शाती है। मिठाई, नमकीन और ड्राई फ्रूट्स की भी खूब बिक्री हुई। कैट के अधिकारियों का कहना है कि इस बार लोगों ने भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दी, जिसके चलते चीन से आयातित वस्तुओं की मांग में कमी आई है।
शादी के सीजन से व्यापारियों को बड़ी उम्मीदें
दिवाली के बाद अब व्यापारी देवउठनी एकादशी (12 नवंबर) से शुरू होने वाले शादी के सीजन पर नजर गड़ाए हुए हैं। व्यापारी इस सीजन से भी बड़े कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं। दिवाली के बाद नवंबर और दिसंबर में होने वाली शादियों के लिए कपड़े, गहने, सजावट के सामान, घरेलू उपकरण और उपहार की भारी मांग होने की संभावना है। कैट के अनुसार, शादी के इस सीजन से व्यापारियों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है, क्योंकि लोग इस बार भी बड़े स्तर पर खरीदारी कर सकते हैं।
बाजार में भीड़ से लेकर छोटे व्यवसायों को समर्थन
दिवाली के दौरान बाजार में बढ़ी हुई भीड़ से व्यापारियों को भी लाभ हुआ और छोटे कारीगरों को भी फायदा पहुंचा। देश के कई हिस्सों में कुम्हारों, हस्तशिल्पियों और छोटे उद्यमियों ने रिकॉर्ड बिक्री की है, जिससे उनकी आजीविका को बड़ा सहारा मिला। लोग न केवल पारंपरिक भारतीय सामानों की ओर आकर्षित हुए, बल्कि स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की मुहिम के तहत उन्हें बड़े उत्साह से खरीदा। इस तरह से वोकल फॉर लोकल की पहल ने बाजार को नई दिशा दी।
दिवाली के इस साल का कारोबार जहां रिकॉर्ड तोड़ उछाल पर रहा, वहीं लोगों ने भारतीय उत्पादों को वरीयता देकर देश के छोटे व्यापारियों और कारीगरों को बड़ा समर्थन दिया। वोकल फॉर लोकल अभियान का असर साफ दिखाई दिया, और छोटे व्यापारी इस पहल से बेहद लाभान्वित हुए। आगामी शादी के सीजन को लेकर व्यापारियों की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। दिवाली पर हुए इस रिकॉर्ड कारोबार से स्पष्ट है कि भारतीय बाजारों में फिर से तेजी लौटी है, और लोग अब अपने पारंपरिक उत्सवों को भारतीय सामानों के साथ मनाना पसंद कर रहे हैं।