
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) में बड़े बदलाव करने का फैसला किया है। उन्होंने करीब 2000 कर्मचारियों को नौकरी से हटाने और अधिकांश कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया है। केवल कुछ खास कर्मचारियों को ही काम पर बने रहने दिया जाएगा।
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USAID में कर्मचारियों की छंटनी
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने USAID के हजारों कर्मचारियों को हटाने का फैसला पहले भी किया था, लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण इसे रोकना पड़ा। एक संघीय अदालत ने पहले इस फैसले पर रोक लगा दी थी, लेकिन शुक्रवार (23 फरवरी 2025) को अदालत ने कहा कि यह रोक स्थायी नहीं होगी। इसका मतलब है कि ट्रंप प्रशासन अब अपने फैसले को लागू कर सकता है।
USAID के प्रशासनिक कार्यालय ने कर्मचारियों को ईमेल भेजकर बताया कि अब 2000 कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी।
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कर्मचारियों को जबरन छुट्टी पर भेजा गया
एपी न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रविवार (23 फरवरी 2025) की रात को USAID के अधिकतर कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया गया। हालांकि, जो कर्मचारी महत्वपूर्ण मिशनों पर काम कर रहे हैं या खास कार्यक्रमों से जुड़े हैं, उन्हें काम पर बने रहने की अनुमति दी गई है।
लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कितने कर्मचारियों को “महत्वपूर्ण” माना गया है और किन्हें हटाया जाएगा।
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USAID को बंद करने की कोशिश
USAID को पूरी तरह बंद करने की योजना अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) द्वारा बनाई जा रही है। इस विभाग का मानना है कि USAID की जरूरत अब नहीं रही और इससे सरकारी खर्च कम किया जा सकता है।
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600 अमेरिकी कर्मचारी करेंगे मदद
USAID के उप प्रशासक पीट मारको के अनुसार, 600 अमेरिकी कर्मचारी अब USAID के हटाए गए कर्मचारियों और उनके परिवारों की विदेश यात्रा की व्यवस्था करेंगे।
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पहले भी हुआ था ऐसा फैसला
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप प्रशासन ने USAID के कर्मचारियों को हटाने की कोशिश की हो। इससे पहले भी उन्होंने ऐसा करने की योजना बनाई थी, लेकिन कानूनी चुनौतियों के कारण उन्हें रोक दिया गया था। अब, अदालत ने ट्रंप प्रशासन को यह फैसला लागू करने की अनुमति दे दी है।
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इस फैसले का असर
✅ USAID में हजारों लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
✅ अमेरिकी सरकार का खर्च कम करने की कोशिश की जा रही है।
✅ महत्वपूर्ण मिशन वाले कर्मचारी अभी भी काम करेंगे।
ट्रंप प्रशासन के इस कदम से अमेरिका की विदेश सहायता नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर बड़ा असर पड़ सकता है। अब देखना होगा कि यह फैसला भविष्य में क्या बदलाव लाता है।