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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े आर्थिक फैसले लिए, जिनका असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। उन्होंने खासतौर पर कच्चे तेल की कीमतों को कम करने पर जोर दिया। उनके इन फैसलों के कारण तेल की कीमतों में 10% की गिरावट आई, जिसका सीधा असर दुनिया भर में महंगाई और ब्याज दरों पर पड़ा।
तेल की कीमतों में गिरावट क्यों आई?
23 जनवरी को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में दिए अपने बयान में ट्रंप ने कहा कि वे सऊदी अरब और ओपेक देशों से तेल की कीमतें कम करने के लिए बात करेंगे। उनके बयान के बाद ही तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 71 डॉलर तक पहुंच गईं।
अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक के मुताबिक, अगर कच्चे तेल की कीमतों में 10% की गिरावट आती है, तो इससे महंगाई दर में 20 बेसिस पॉइंट (0.20%) की कमी हो सकती है। इसका मतलब है कि कम तेल कीमतों के कारण महंगाई घटेगी और ब्याज दरें भी कम हो सकती हैं।
ओपेक देशों का फैसला
ट्रंप की अपील के बाद ओपेक देशों (जो तेल उत्पादन में सबसे आगे हैं) ने घोषणा की कि वे अप्रैल से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाएंगे। यदि कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तक गिर जाती है, तो गैस की कीमतें भी 3.13 डॉलर से घटकर 2.50 डॉलर तक आ सकती हैं।
भारत में पेट्रोल और डीजल हो सकते हैं सस्ते
चूंकि भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता होने से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर असर पड़ सकता है। हालांकि, फरवरी तक तेल कंपनियों ने कीमतें कम नहीं की थीं, लेकिन अगर तेल की कीमतें इसी तरह घटती रहीं, तो पेट्रोल और डीजल जल्द ही सस्ते हो सकते हैं।
रूस-यूक्रेन शांति समझौते की योजना
इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने के लिए एक योजना बनाई थी। लेकिन यह योजना पश्चिमी मीडिया में लीक हो गई। इसके तहत—
- यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं बनेगा।
- रूस को अपनी सेना को कर्स्क क्षेत्र से हटाना होगा।
- यूरोपीय संघ यूक्रेन को युद्ध से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 486 अरब डॉलर की सहायता देगा।
ट्रंप प्रशासन ने इस योजना पर फरवरी से काम शुरू कर दिया था और 20 अप्रैल तक शांति स्थापित करने का लक्ष्य रखा था।
तेल की कीमतों में गिरावट के बड़े फायदे
- महंगाई कम होगी – जब तेल की कीमतें घटती हैं, तो परिवहन और उत्पादन लागत कम हो जाती है, जिससे सामान्य चीजें सस्ती हो सकती हैं।
- ब्याज दरें घट सकती हैं – सस्ते तेल से अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलती है और बैंक ब्याज दरें कम कर सकते हैं।
- कंज्यूमर को राहत – पेट्रोल और डीजल के दाम घटने से लोगों की जेब पर कम असर पड़ेगा और वे अन्य जरूरतों पर ज्यादा खर्च कर सकेंगे।
- उद्योगों को फायदा – तेल सस्ता होने से ट्रांसपोर्ट, एविएशन और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को फायदा होगा
डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों का असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। उनके कहने पर ओपेक देशों ने तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया, जिससे तेल की कीमतें तेजी से गिर रही हैं। इससे भारत समेत कई देशों को फायदा हो सकता है, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट होने की संभावना है। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन शांति समझौते की योजना भी चर्चा में रही। आने वाले दिनों में इन बदलावों का लंबे समय तक असर देखने को मिलेगा।