
दुनियाभर के शेयर बाजारों में इस समय बड़ी हलचल मची हुई है, और इसकी वजह हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए रेसिप्रोकल टैरिफ। ट्रंप ने हाल ही में चीन, भारत, पाकिस्तान, ताइवान समेत कई देशों पर यह टैरिफ लागू कर दिया है। इससे न सिर्फ एशियाई बाजारों में गिरावट देखी जा रही है, बल्कि अमेरिका का शेयर बाजार भी बुरी तरह हिल गया है।
क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ?
रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है कि अगर कोई देश अमेरिका पर टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश पर ठीक वैसा ही टैक्स लगाएगा। यह कदम ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा माना जा रहा है, लेकिन इसका असर ग्लोबल ट्रेड और इन्वेस्टमेंट माहौल पर भी पड़ रहा है।
बाजार में हड़कंप
ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा है। जापान, चीन, भारत और यूरोप के प्रमुख बाजारों में गिरावट देखने को मिली है। वहीं अमेरिका का डाउ जोन्स, नैस्डैक और एसएंडपी-500 जैसे इंडेक्स भी नीचे जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये गिरावट अभी और बढ़ सकती है।
एक्सपर्ट की चेतावनी: आ सकता है नया ‘ब्लैक मंडे’
अमेरिकी शेयर मार्केट एनालिस्ट जिम क्रेमर ने इस मामले को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि ट्रंप के टैरिफ नीति से बाजार में 1987 जैसा ‘ब्लैक मंडे’ दोबारा देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका ने जल्द ही व्यापारिक संबंध सुधारने की कोशिश नहीं की, तो अमेरिकी शेयर बाजार को बहुत बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
1987 का ‘ब्लैक मंडे’ क्या था?
19 अक्टूबर 1987 को अमेरिकी शेयर बाजार में इतिहास की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज करीब 22.6 फीसदी गिरा था। इसके अलावा S&P-500 इंडेक्स में भी लगभग 20.4 फीसदी की गिरावट हुई थी। इस गिरावट ने वैश्विक बाजारों को भी प्रभावित किया था, और इसे शेयर मार्केट के इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है।
क्या कह रहे हैं बाजार विश्लेषक?
जिम क्रेमर ने चेताया कि यदि ट्रंप ने उन देशों से बातचीत नहीं की जिन पर टैरिफ लगाए गए हैं, तो आने वाले सोमवार को बाजार में बड़ा भूचाल आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि निवेशकों में डर का माहौल बन रहा है, जिससे शेयर बाजार में और बिकवाली हो सकती है।
भारत और अन्य देशों पर असर
भारत, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के निर्यात पर इसका असर साफ दिख रहा है। भारत के शेयर बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली है और निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति जल्दी नहीं संभली तो इससे ग्लोबल ट्रेड व ग्रोथ को भी झटका लग सकता है।
क्या करें निवेशक?
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लंबी अवधि के निवेशक फिलहाल धैर्य रखें।
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नई खरीदारी सोच-समझकर करें।
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मार्केट में वोलाटिलिटी बनी रह सकती है, इसलिए सटीक जानकारी और सलाह लेकर ही कदम उठाएं।
डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने फिलहाल ग्लोबल बाजारों में डर का माहौल बना दिया है। विशेषज्ञों की चेतावनी अगर सही साबित होती है, तो हमें एक और ‘ब्लैक मंडे’ देखने को मिल सकता है। यह समय सतर्क रहने और समझदारी से फैसले लेने का है।