
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। 20 जून 2025 को न्यू जर्सी में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने साफ कहा कि उनकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड इस मामले में गलत हैं।
उन्होंने कहा, “मेरी अपनी खुफिया एजेंसी इस मुद्दे पर गलत है।” जब पत्रकारों ने उन्हें याद दिलाया कि यह राय गबार्ड की है, तब भी ट्रंप ने दोहराया कि वे इस बार में गलत सोच रखती हैं।
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ईरान पर ट्रंप का सवाल: जब तेल है, तो परमाणु ऊर्जा क्यों?
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की जरूरत पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “जब ईरान के पास दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार हैं, तो उसे परमाणु ऊर्जा की जरूरत क्यों है?” ट्रंप का मानना है कि यह परमाणु कार्यक्रम किसी ऊर्जा संकट के लिए नहीं बल्कि किसी और छिपे उद्देश्य के लिए हो सकता है।
गौरतलब है कि इससे पहले मार्च में खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी सांसदों को बताया था कि एजेंसियों के पास ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है जिससे ये साबित हो कि ईरान परमाणु हथियार बनाने का फैसला ले चुका है।
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मिडिल ईस्ट में बढ़ रहा है तनाव
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब मध्य एशिया यानी मिडिल ईस्ट में हालात दिन-ब-दिन तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। अमेरिका, इस्राइल और यूरोपीय देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पहले से ही कड़े कदम उठा रहे हैं। ट्रंप का बयान इस मुद्दे पर अमेरिकी नीति को और विवादास्पद बना सकता है।
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नाटो देशों पर ट्रंप का तंज
ट्रंप ने अपने बयानों में सिर्फ ईरान को ही नहीं, बल्कि नाटो (NATO) के सदस्य देशों को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को नाटो के तहत तय किए गए GDP का 5% रक्षा खर्च करने की जरूरत नहीं है।
ट्रंप ने कहा, “दूसरे देशों को ये नियम मानना चाहिए, लेकिन अमेरिका को नहीं। हमने पहले ही बहुत ज़्यादा योगदान दिया है।”
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स्पेन पर भी उठाए सवाल
डोनाल्ड ट्रंप ने खासतौर पर स्पेन को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि स्पेन रक्षा क्षेत्र में बहुत कम निवेश करता है और उसने नाटो का खर्च बढ़ाने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया है।
ट्रंप ने कहा, “या तो स्पेन के नेता बहुत चालाक सौदेबाज हैं, या फिर वे अपना काम सही से नहीं कर रहे। मेरा मानना है कि उन्हें भी उतना ही खर्च करना चाहिए जितना बाकी देश कर रहे हैं।”
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डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। ईरान को लेकर उन्होंने अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट को नकारते हुए सीधे अपनी ही टीम की आलोचना की है। साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नाटो और स्पेन जैसे सहयोगी देशों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
इन बयानों से साफ है कि ट्रंप आने वाले चुनावों या वैश्विक मंच पर एक बार फिर मजबूत छवि के साथ लौटना चाहते हैं — लेकिन यह बयानबाजी अमेरिका की विदेश नीति को और उलझा सकती है।
यदि मिडिल ईस्ट में हालात और बिगड़े, तो ट्रंप के ये शब्द आने वाले समय में बड़ी बहस का कारण बन सकते हैं