
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने नए टैरिफ प्लान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने उन देशों पर नया टैक्स लगाने का ऐलान किया है जो अमेरिका से आयात की जाने वाली चीज़ों पर ज़्यादा टैक्स लगाते हैं। उनके इस कदम से न सिर्फ अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मच गई है।
टैरिफ प्लान क्या है?
टैरिफ का मतलब होता है किसी सामान पर लगाया गया आयात कर। ट्रंप का कहना है कि कई देश, जैसे कि चीन और यूरोपीय संघ, अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर ज़्यादा टैक्स लगाते हैं। इसलिए अब अमेरिका भी उनके उत्पादों पर भारी टैक्स लगाएगा। ट्रंप के मुताबिक यह फैसला अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और देश को अरबों डॉलर की आमदनी होगी।
अमेरिका में विरोध प्रदर्शन
ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ अमेरिका के कई शहरों में शनिवार को लोगों ने रैलियां निकालीं। इन रैलियों में बड़ी संख्या में आम लोग, कर्मचारी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। उन्होंने ट्रंप और बिज़नेसमैन एलन मस्क के खिलाफ नाराज़गी जताई।
प्रदर्शनकारियों ने टैरिफ, कर्मचारियों की छंटनी, आर्थिक कमजोरी और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर अपना विरोध दर्ज कराया। उनका कहना है कि ट्रंप सरकार के फैसले आम लोगों की ज़िंदगी को और मुश्किल बना देंगे। कई लोग ट्रंप के कार्यकाल में लिए गए कुछ पुराने फैसलों को भी इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं।
ट्रंप ने टैरिफ को बताया ‘खूबसूरत चीज़’
इन विरोधों के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ’ पर एक बयान जारी किया। उन्होंने लिखा,
> “टैरिफ एक खूबसूरत चीज़ है।”
उनका कहना है कि चीन और यूरोप जैसे देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है, और इसे ठीक करने का एक ही तरीका है — टैरिफ। ट्रंप ने दावा किया कि अब अमेरिका को इन टैरिफ के जरिए अरबों डॉलर मिल रहे हैं, और इसका असर साफ नजर आने लगा है।
बाइडेन सरकार पर निशाना
ट्रंप ने मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बाइडेन के कार्यकाल में व्यापार घाटा और बढ़ा है, लेकिन अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बने तो वे इस स्थिति को सुधारेंगे। उन्होंने कहा, “किसी दिन लोग समझेंगे कि टैरिफ अमेरिका के लिए कितना अच्छा है।”
“कड़वा घूंट पीना पड़ता है”
जब ट्रंप से पूछा गया कि उनके फैसले से बाजार में गिरावट क्यों आई और वैश्विक अर्थव्यवस्था क्यों डगमगाई, तो उन्होंने जवाब दिया कि टैरिफ एक तरह की ‘दवा’ है। और कभी-कभी इस दवा को पचाने के लिए ‘कड़वा घूंट’ भी पीना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि अगर विदेशी देश चाहते हैं कि अमेरिका टैरिफ हटाए, तो उन्हें इसके लिए “बहुत सारा पैसा” देना होगा।
ट्रंप का यह फैसला अमेरिका को फायदा देगा या नुकसान, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन फिलहाल देश में टैरिफ को लेकर बहस तेज हो गई है और लोग सड़कों पर उतरकर अपने विचार रख रहे हैं।