रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थियां दिल्ली के गुरुद्वारा मज़नू का टीला के पास यमुना घाट में जल प्रवाहित की गईं। इस मौके पर उनकी पत्नी, तीनों बेटियां और अन्य पारिवारिक सदस्य मौजूद रहे।
शनिवार को डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर सिख रीति-रिवाजों के साथ किया गया था। उनकी मृत देह को तिरंगे में लपेटा गया और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। उनकी बेटी ने मुखाग्नि दी। इसके बाद रविवार को परिवार ने उनकी अस्थियों का विसर्जन यमुना नदी में किया।
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन
डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था। 92 वर्षीय डॉ. सिंह को गुरुवार शाम बेहोश होने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रात 9:51 बजे अंतिम सांस ली।
डॉ. सिंह का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। वे 2004 से 2014 तक भारत के 13वें प्रधानमंत्री रहे और देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के प्रमुख वास्तुकार माने जाते हैं। 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी।
राजनीतिक और अकादमिक यात्रा
डॉ. मनमोहन सिंह ने पांच बार राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व किया और 2019 में राजस्थान से राज्यसभा सदस्य बने। वे एक विद्वान, नौकरशाह और सरल जीवन के लिए पहचाने जाते थे। उनकी नेतृत्व शैली में शालीनता और धैर्य झलकता था।
सम्मान और उपलब्धियां
डॉ. सिंह को देश और विदेश में उनके योगदान के लिए सराहा गया। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। उनका नाम हमेशा भारतीय राजनीति में उनकी ईमानदारी और नीतियों के लिए याद किया जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थियों का विसर्जन उनके परिवार और देशवासियों के लिए एक भावुक क्षण था। उनका योगदान देश के लिए अविस्मरणीय रहेगा।