
पंजाब सरकार द्वारा चलाए जा रहे “नशे के खिलाफ युद्ध” अभियान के तहत जिला मोगा में एक सराहनीय पहल की जा रही है। यहां नशा छोड़ चुके और इलाज करवा रहे मरीजों को न केवल बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।
गांव जनेर में स्थित सरकारी नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र में भर्ती मरीजों को इलेक्ट्रिशियन बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह प्रयास पंजाब स्किल डिवेलपमेंट मिशन और रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग से किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि नशा छोड़ चुके युवक समाज में सम्मान के साथ दोबारा अपनी जगह बना सकें और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
दो बैचों में 41 मरीज ले रहे हैं ट्रेनिंग
इस स्कीम के तहत दो बैचों में कुल 41 मरीज इलेक्ट्रिशियन की ट्रेनिंग ले रहे हैं। पहला बैच 29 मार्च 2025 को शुरू हुआ, जिसमें 26 लोग शामिल हैं। वहीं दूसरा बैच 7 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ, जिसमें 15 मरीज प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह ट्रेनिंग 45 दिनों की है और बिलकुल मुफ्त दी जा रही है।
ट्रेनिंग के अंत में सभी को एक प्रमाणित सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिससे वे भविष्य में अपना खुद का बिजनेस शुरू कर सकें या कहीं नौकरी पा सकें।
डिप्टी कमिश्नर सागर सेतिया का बयान
डिप्टी कमिश्नर सागर सेतिया ने बताया कि नशा पीड़ित युवाओं के लिए सिर्फ इलाज देना ही काफी नहीं होता। उन्हें समाज में दोबारा जगह देने और उन्हें जीवन में आगे बढ़ाने के लिए कौशल विकास बहुत जरूरी है। इसलिए जिला प्रशासन ने यह पहल शुरू की है।
उन्होंने यह भी कहा कि मरीजों की मनोरंजन गतिविधियों और मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा रहा है, ताकि उनका मनोबल बढ़े और वे अच्छे से ठीक हो सकें। जिला प्रशासन ने दवाएं, जांच किट्स और अन्य जरूरी संसाधनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की है।
भविष्य के लिए और भी योजनाएं
डिप्टी कमिश्नर ने जानकारी दी कि पहले भी मोगा प्रशासन की ओर से फास्ट फूड और बेकरी जैसे अन्य कोर्स की ट्रेनिंग दी गई थी और आगे भी इस तरह की योजनाएं चलाई जाएंगी। साथ ही, जिन युवक-युवतियों को व्यवसाय शुरू करना है, उन्हें सरकारी लोन और अन्य आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।
मरीजों का उत्साह
इस ट्रेनिंग से लाभान्वित हो रहे मरीजों ने अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए बताया कि वे इस पहल से बहुत खुश हैं। उन्होंने पंजाब सरकार, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और मोगा जिला प्रशासन का आभार जताया। उनका कहना है कि इलाज के बाद वे समाज में एक नई शुरुआत करना चाहते हैं और इस ट्रेनिंग ने उन्हें वह उम्मीद दी है।
यह पहल मोगा जिले में नशे के खिलाफ लड़ाई को एक नई दिशा दे रही है, जो इलाज के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जाती है।