महाकुंभ मेला, जिसे मानवता का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है, न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका आर्थिक प्रभाव भी बेहद अहम है। 2024 के महाकुंभ मेले से जुड़ी उम्मीदें बहुत बड़ी हैं, जहां 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की संभावना है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को व्यापक रूप से प्रभावित करेगा। इस आयोजन के जरिए भारत की जीडीपी में 1% से अधिक का इजाफा होने का अनुमान है, जिससे सरकारी राजस्व में भी वृद्धि होगी।
शरद्धालुओं की भारी संख्या का अनुमान
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, इस महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के श्रद्धालु होंगे। अगर हर व्यक्ति औसतन 5000 से 10,000 रुपये खर्च करता है, तो कुल खर्च 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है। इसमें आवास, यात्रा, खानपान, हस्तशिल्प, और पर्यटन के क्षेत्र शामिल होंगे, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि हो रही है।
महाकुंभ से जीडीपी और टैक्स में बढ़ोतरी
महाकुंभ से जीडीपी में 1% का इजाफा हो सकता है। 2023-24 में भारत की जीडीपी 295.36 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में बढ़कर 324.11 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इस वृद्धि में महाकुंभ का योगदान महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, सरकार को टैक्स के रूप में भी बड़ा लाभ होने की उम्मीद है। जीएसटी, आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष टैक्स के जरिए सरकार को एक लाख करोड़ रुपये तक का राजस्व मिल सकता है, जिसमें अकेले जीएसटी से 50,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।
सरकार की निवेश योजना
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए 16,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है। इस निवेश से न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी लाभ होगा। महाकुंभ के दौरान जो सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, उनसे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इस आयोजन से जुड़े विभिन्न उद्योगों को फायदा होगा, जैसे पर्यटन, परिवहन, होटल और रेस्टोरेंट्स।
महाकुंभ मेला, जो एक आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है, अब एक बड़ी आर्थिक गतिविधि के रूप में भी उभरा है। यह भारत के लिए न केवल आध्यात्मिक बल्कि आर्थिक समृद्धि का भी प्रतीक बन गया है। लाखों श्रद्धालुओं के आगमन और इसके साथ जुड़ी आर्थिक गतिविधियां, भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा और गति देने में मदद करेंगी।