वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया, जिसमें अगले वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान जताया गया है। यह बीते चार वर्षों में सबसे कम वृद्धि दर होगी। वहीं, मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.5% से 7% की विकास दर का अनुमान जताया गया था।
गिरावट की वजह बाहरी चुनौतियां और एक्सपोर्ट में कमी
आर्थिक सर्वेक्षण में इस बार भारत की धीमी आर्थिक वृद्धि दर के लिए बाहरी चुनौतियों को मुख्य कारण बताया गया है। वैश्विक बाजार में मांग में गिरावट और एक्सपोर्ट में कमी से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। बढ़ती महंगाई, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक अनिश्चितता भी आर्थिक विकास पर असर डाल रहे हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोजगार पर खतरा
सर्वेक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, AI और ऑटोमेशन के चलते कई पारंपरिक नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। हालांकि, सरकार इस तकनीकी बदलाव को अपनाने के साथ-साथ नए रोजगार के अवसर भी सृजित करने पर काम कर रही है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन पर निर्भरता चिंता का विषय
आर्थिक सर्वे में भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन पर बढ़ती निर्भरता को लेकर चिंता जाहिर की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर चीन से कच्चे माल और जरूरी पुर्जों पर अत्यधिक निर्भर है, जिससे घरेलू उत्पादन प्रभावित हो सकता है। सरकार इस निर्भरता को कम करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं को और मजबूत करने पर जोर दे रही है।
इंडस्ट्रीज के डीरेगुलेशन पर जोर
आर्थिक सर्वे में उद्योगों के डीरेगुलेशन यानी सरकारी हस्तक्षेप को कम करने और कारोबार को आसान बनाने पर विशेष जोर दिया गया है। सरकार का मानना है कि अगर उद्योगों को अधिक स्वतंत्रता दी जाए, तो वे तेजी से विकास कर सकते हैं और इससे नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
भविष्य की आर्थिक नीतियों पर सरकार का फोकस
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, सरकार विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने, निर्यात को मजबूत करने और डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाने की योजना बना रही है। सार्वजनिक निवेश, बुनियादी ढांचे का विस्तार और हरित ऊर्जा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
आर्थिक सर्वे 2024-25 के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद स्थिर बनी हुई है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में विकास दर में हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है। सरकार मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता बढ़ाने, इंडस्ट्रीज को सरल बनाने और AI से प्रभावित रोजगार क्षेत्रों में नई नौकरियों का सृजन करने के प्रयासों पर ध्यान दे रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले बजट 2024-25 में इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार कौन से नए कदम उठाती है।