महाराष्ट्र में महायुति (एनडीए) के नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर कयासों का दौर जारी है। इस बीच, महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कुछ दिन के लिए अपने पैतृक गांव दारेगांव चले गए थे। उनके इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी और चर्चा होने लगी थी कि वह कोई बड़ी रणनीति तैयार कर रहे हैं। हालांकि, अब वह गांव से वापस लौट आए हैं और प्रेस कांफ्रेंस में अपना बयान जारी किया।
एकनाथ शिंदे ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “मैंने अपनी भूमिका क्लियर की है। पीएम मोदी और अमित शाह ही मुख्यमंत्री का फैसला लेंगे। हम मजबूती के साथ उनके साथ हैं।” शिंदे का यह बयान महायुति के भीतर नए मुख्यमंत्री को लेकर हो रही चर्चाओं और आंतरिक विवादों के बीच आया है। वह महाराष्ट्र के लोगों को यह स्पष्ट करना चाहते थे कि उनका समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में है।
शिंदे ने यह भी कहा कि उनकी तबीयत अभी ठीक है और उनके गांव से लौटने के बाद भी लोग उनसे मिलने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार जनता की आवाज़ वाली सरकार है। हमारी सरकार ने जनता के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। यह सरकार आम आदमी की सरकार है।” उनका यह बयान यह दिखाता है कि शिंदे अपने नेतृत्व में महाराष्ट्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने जनता के लिए काम करने का वादा किया है।
महाराष्ट्र में महायुति का नेतृत्व और मुख्यमंत्री चयन
जब एकनाथ शिंदे से उनकी भूमिका के बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मैंने अपनी भूमिका क्लियर की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भाई जो भी कहेंगे, हम उनका समर्थन करेंगे। हमारा निर्णय यह नहीं है कि हमें क्या मिलेगा, बल्कि यह है कि जनता को क्या मिलेगा।” इस बयान से शिंदे ने यह स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री पद पर फैसला उनकी पार्टी या महायुति के नेताओं के बजाय केंद्रीय नेतृत्व, यानी मोदी और शाह के हाथों में होगा।
एकनाथ शिंदे ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने विपक्ष को यह मौका नहीं दिया कि वह अपना नेता चुन सकें। शिंदे का यह बयान विपक्षी गठबंधन पर दबाव डालने के इरादे से था, ताकि यह दिखाया जा सके कि महायुति जनता के विश्वास को बनाए रखे हुए है, जबकि विपक्ष कमजोर और विघटनात्मक है।
शिंदे के गांव जाने और राजनीतिक कयास
बीते शुक्रवार (29 नवंबर) को, जब मुंबई में महागठबंधन की बैठक होने वाली थी, शिंदे अचानक अपने गांव दारेगांव चले गए थे। इस निर्णय ने राजनीति में हलचल पैदा कर दी, क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि वह महाराष्ट्र की नई सरकार के गठन को लेकर असहमत थे। उनके गांव जाने से यह भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह मुख्यमंत्री पद को लेकर किसी नई रणनीति पर काम कर रहे हैं।
हालांकि, रविवार (1 दिसंबर) को शिंदे गांव से लौट आए और राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से चर्चा का माहौल गर्म हो गया है। इस समय यह अनुमान लगाया जा रहा है कि रविवार शाम तक महायुति के मुख्यमंत्री के चयन को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो सकती है। शिंदे के लौटने से महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में हलचल तेज हो गई है, और अब सबकी नजरें महायुति के अगले कदम पर हैं।
महाराष्ट्र में महायुति का नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है, लेकिन एकनाथ शिंदे ने अपनी भूमिका साफ कर दी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में फैसले लेने की बात कही है। उनके बयान से यह संकेत मिलता है कि वह केंद्रीय नेतृत्व के साथ खड़े हैं और महाराष्ट्र की जनता के हित में फैसले लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर क्या बड़ा कदम उठाया जाता है।