
पंजाब सरकार ने राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में एनर्जी ड्रिंक्स पर बैन लगाने का ऐलान किया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि यह कदम युवाओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
अब स्कूलों और कॉलेजों के 500 मीटर के दायरे में एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर पूरी तरह रोक होगी। सरकार का कहना है कि युवाओं को स्वस्थ खान-पान की आदतों के प्रति जागरूक करना जरूरी है, ताकि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचाव किया जा सके।
एनर्जी ड्रिंक्स से हो रही सेहत पर बुरी असर
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि एनर्जी ड्रिंक्स के बढ़ते चलन से युवा कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। ये पेय पदार्थ उच्च कैफीन और शुगर लेवल के कारण युवाओं की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ स्कूलों और कॉलेजों ही नहीं, बल्कि अस्पतालों और सार्वजनिक स्थलों पर भी इनकी बिक्री को नियंत्रित किया जाएगा।
हेल्दी विकल्पों को मिलेगा बढ़ावा
स्वास्थ्य मंत्री ने इस मौके पर “ईट राइट मेला” का उद्घाटन भी किया। इस अभियान के तहत, स्कूलों और कॉलेजों की कैंटीन और दुकानों को लस्सी, नींबू पानी और ताजे जूस जैसे हेल्दी विकल्प उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
उन्होंने दुकानदारों से एनर्जी ड्रिंक्स के विज्ञापन ना लगाने की अपील की और हेल्दी फूड को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
स्वास्थ्य टीम करेगी निगरानी
इस प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें स्कूल-कॉलेजों की कैंटीनों की नियमित जांच करेंगी। जो भी नियमों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्वस्थ खानपान के लिए जागरूकता अभियान
इससे पहले, लोगों को पौष्टिक खानपान के प्रति जागरूक करने के लिए एक वॉकथॉन भी आयोजित की गई। इसमें मोटे अनाज (बाजरा, ज्वार आदि) के महत्व और इसके फायदों पर विशेष ध्यान दिया गया।
इस मौके पर राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा ने कहा कि “ईट राइट मेला” एक सराहनीय पहल है और इससे लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
सरकार का मिशन – हेल्दी पंजाब
कार्यक्रम में फूड लैब खरड़ की डायरेक्टर डॉ. रवनीत कौर, फूड सेफ्टी के संयुक्त आयुक्त डॉ. अमित जोशी, सिविल सर्जन डॉ. रमनीत कौर आहलूवालिया और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमरजीत कौर सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
सरकार का यह फैसला युवाओं की सेहत को बेहतर बनाने और स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।