
अमेरिका से 104 भारतीयों को डिपोर्ट किए जाने के मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना दस्तावेजों के विदेश में रहने वाले भारतीयों को वापस भेजने की प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है। यह सभी देशों की जिम्मेदारी होती है कि अगर उनके नागरिक गैर-कानूनी तरीके से किसी और देश में रह रहे हैं, तो उन्हें वापस भेजा जाए।
डिपोर्ट की प्रक्रिया पुरानी, कोई नई बात नहीं – जयशंकर
जयशंकर ने संसद में कहा कि डिपोर्टेशन की यह प्रक्रिया सालों से चली आ रही है। यह किसी एक देश तक सीमित नहीं है, बल्कि कई देशों द्वारा अपनाई जाती है। भारत सरकार इस मामले को लेकर अमेरिकी सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिपोर्ट किए जा रहे भारतीयों के साथ गलत व्यवहार न हो।
पिछले वर्षों में भी हुए हैं भारतीय नागरिक डिपोर्ट
जयशंकर ने पिछले सालों में अमेरिका से भारत डिपोर्ट किए गए नागरिकों के आंकड़े भी संसद में पेश किए। उन्होंने बताया कि –
2009 में – 734 लोग
2010 में – 799 लोग
2011 में – 597 लोग
2012 में – 530 लोग
उन्होंने कहा कि भारत को अवैध इमिग्रेशन (गैर-कानूनी ढंग से विदेश जाने) पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में भारतीय नागरिकों को इस तरह की स्थिति का सामना न करना पड़े।
अमेरिका से लौटे भारतीयों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल
डिपोर्ट किए गए भारतीयों में 30 पंजाब, 33-33 हरियाणा और गुजरात, 3-3 महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, और 2 चंडीगढ़ से हैं। इनमें 19 महिलाएं और 13 नाबालिग भी शामिल हैं। इन नाबालिगों में एक 4 साल का लड़का और 5 और 7 साल की दो बच्चियां भी शामिल हैं।
अमेरिका में विरोधी दलों का हंगामा
अमेरिका से भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन के मुद्दे पर संसद में विपक्षी दलों ने हंगामा किया। विपक्षी सांसदों ने सरकार से पूछा कि विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
अमृतसर पहुंचा अमेरिकी सेना का विमान
बुधवार को अमेरिकी सेना का एक विमान इन 104 भारतीयों को लेकर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। यह डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार इतने भारतीयों का अमेरिका से डिपोर्टेशन हुआ है।
इस मामले ने अवैध इमिग्रेशन (गैर-कानूनी ढंग से विदेश जाने) की गंभीर समस्या को उजागर किया है। भारत सरकार इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है ताकि भारतीय नागरिकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए और डिपोर्टेशन की प्रक्रिया पारदर्शी हो। लेकिन इससे एक बड़ा सवाल भी उठता है कि आखिर भारतीय नागरिक अवैध रूप से विदेश जाने को मजबूर क्यों होते हैं? सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि भारतीय युवा सुरक्षित और वैध तरीकों से विदेश में रोजगार और जीवन बिता सकें।