किसी भी देश में जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए फर्टिलिटी रेट का 2.1 होना अनिवार्य है। अगर यह रेट 2.1 से कम होता है, तो जनसंख्या में गिरावट होगी, और अधिक होने पर जनसंख्या में वृद्धि होगी। भारत का वर्तमान फर्टिलिटी रेट 2 है, जो स्थिरता के करीब है। हालांकि, उत्तरी राज्यों में फर्टिलिटी रेट में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जो पंजाब और आसपास के राज्यों के व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बन गया है।
फर्टिलिटी रेट में गिरावट के आंकड़े
आल इंडस्ट्री एंड ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने जानकारी दी कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर का फर्टिलिटी रेट तेजी से घट रहा है।
- पंजाब: 2008 में पंजाब का फर्टिलिटी रेट 2 था, जो अब घटकर 1.63 पर आ गया है।
- हिमाचल प्रदेश: यहां फर्टिलिटी रेट अब 1.70 है।
- जम्मू-कश्मीर: यह गिरकर 1.40 तक पहुंच गया है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि आने वाले समय में इन राज्यों में जनसंख्या में तीव्र गिरावट देखने को मिलेगी।
गिरावट का प्रभाव
जनसंख्या में गिरावट का असर इन राज्यों की मांग और आपूर्ति दोनों पर पड़ेगा। स्थानीय स्तर पर श्रमबल (लेबर फोर्स) की कमी होने की संभावना है, जिससे उद्योगों और व्यापारों को झटका लग सकता है। पंजाब के अधिकतर लोग विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
जनसंख्या में गिरावट से स्थानीय बाजारों में उपभोक्ताओं की कमी, श्रम की उपलब्धता में गिरावट, और निवेशकों के लिए आकर्षण कम होने की संभावना है। इसके अलावा, सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
व्यापार और रोजगार पर प्रभाव
फर्टिलिटी रेट में गिरावट के चलते उद्योगों को स्थानीय श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ेगा, जिससे उन्हें अन्य राज्यों से मजदूर बुलाने की आवश्यकता पड़ेगी। वहीं, जनसंख्या में गिरावट के कारण मांग में कमी आएगी, जिससे व्यापार को नुकसान हो सकता है।
समाधान और भविष्य की रणनीति
पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों में इस समस्या को हल करने के लिए योजनाबद्ध प्रयास करने होंगे।
- स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है ताकि पलायन रोका जा सके।
- महिलाओं और युवाओं को रोजगार के लिए प्रोत्साहित करना।
- स्वास्थ्य सेवाओं और जनसंख्या स्थिरता के लिए जागरूकता बढ़ाना।
- बाहरी श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीति बनाना।
जनसंख्या स्थिरता के लिए सरकार और उद्योगों को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि गिरते फर्टिलिटी रेट का असर अर्थव्यवस्था और समाज पर कम हो सके।