
हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन यानी मंगलवार को शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसक्स और निफ्टी दोनों में कमजोरी देखी गई। जानकारों का कहना है कि निवेशक फिलहाल सतर्क रवैया अपना रहे हैं, क्योंकि इस हफ्ते के अंत में अमेरिकी फेडरल बैंक की ब्याज दरों को लेकर बड़ा फैसला आ सकता है। इसके अलावा, इजराइल और ईरान के बीच तनाव का असर भी बाजार की चाल पर पड़ा है।
सेंसेक्स और निफ्टी की स्थिति
आज सेंसक्स 212.85 अंकों की गिरावट के साथ 81,583.30 पर बंद हुआ। इसमें 30 कंपनियों में से सिर्फ 9 स्टॉक्स बढ़त में रहे जबकि 21 में गिरावट दर्ज की गई। सबसे ज्यादा गिरावट सन फार्मा, टाटा मोटर्स, इटर्नल और बजाज फाइनेंस के शेयरों में देखी गई। वहीं टेक महिंद्रा, एशियन पेंट्स, मारुति और इंफोसिस (INFY) जैसे स्टॉक्स में हल्की बढ़त रही।
निफ्टी भी 93.10 अंकों की गिरावट के साथ 24,853.40 पर बंद हुआ। निफ्टी के 50 स्टॉक्स में से 38 में गिरावट और सिर्फ 12 में तेजी रही। NSE के ऑटो, फार्मा, प्राइवेट बैंक और मेटल सेक्टर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, जबकि मीडिया, रियल एस्टेट और सरकारी बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में बढ़त देखी गई।
वैश्विक बाजारों का हाल
एशियाई बाजारों में भी मिलाजुला रुख देखने को मिला। दक्षिण कोरिया का कोस्पी और जापान का निक्केई 225 आज फायदे में रहे, जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में बंद हुए। वहीं सोमवार को अमेरिकी बाजार तेजी के साथ बंद हुए थे।
तेल और विदेशी निवेशक
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमत 0.53% बढ़कर 73.62 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने सोमवार को भारी बिकवाली करते हुए 2,539.42 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने बाजार में भरोसा जताते हुए 5,780.96 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
सोमवार को बाजार में थी तेजी
सोमवार को बाजार में तेज उछाल देखा गया था। सेंसेक्स 677.55 अंकों की बढ़त के साथ 81,796.15 पर और निफ्टी 227.90 अंकों की मजबूती के साथ 24,946.50 पर बंद हुआ था।
जून में निवेशकों का हाल
जून महीने में अब तक विदेशी निवेशकों ने कुल 7,351.81 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जबकि घरेलू निवेशकों ने 49,931.68 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की है। मई महीने में FII ने 11,773.25 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी, वहीं DII ने 67,642.34 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। बाजार विशेषज्ञों की सलाह है कि जब तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों को लेकर स्पष्टता नहीं आती, तब तक निवेशकों को सतर्कता बरतनी चाहिए। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय तनाव और तेल की कीमतें भी बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।