पंजाब के संगरूर जिले के खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 100 दिनों से भी अधिक समय से जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। इसी आंदोलन के तहत भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 39 दिनों से मरन व्रत पर बैठे हैं। उनकी सेहत काफी नाजुक हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद उनका हौसला बरकरार है।
जगजीत सिंह डल्लेवाल की भावुक अपील
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपनी बिगड़ती सेहत के बीच खनौरी बॉर्डर से देश के किसानों और समर्थकों को एक भावुक अपील की है। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा, “आप सभी जानते हैं कि यह लड़ाई एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के लिए लड़ी जा रही है। यह लड़ाई देश के हर किसान और उनके अधिकारों के लिए है। मैं उन सभी से विनम्र अनुरोध करता हूं, जो इस संघर्ष का हिस्सा हैं और इसे मजबूती से लड़ना और जीतना चाहते हैं, कि कृपया कल, 4 जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर जरूर आएं। मैं आप सभी के दर्शन करना चाहता हूं।”
डल्लेवाल ने अपने संदेश में कहा कि यह आंदोलन किसानों के भविष्य के लिए बेहद अहम है और इसे समर्थन देने के लिए सभी को एकजुट होकर आगे आना होगा। उन्होंने कहा, “आप सभी का आना इस आंदोलन को और मजबूत बनाएगा। मैं आप सभी का आभारी रहूंगा।”
4 जनवरी को होगी महापंचायत
डल्लेवाल के आह्वान के बाद 4 जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर एक महापंचायत बुलाई गई है। इस महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों के पहुंचने की उम्मीद है। पंजाब और हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से किसान संगठनों ने खनौरी पर इकट्ठा होने का आह्वान किया है। इस महापंचायत में एमएसपी की गारंटी, किसानों के कर्ज माफी और अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी।
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एमएसपी पर कोई ठोस गारंटी देने से बच रही है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे खनौरी बॉर्डर पर डटे रहेंगे।
किसानों का संघर्ष और डल्लेवाल की भूमिका
जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरन व्रत आंदोलन किसानों के हक और अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। वह न केवल किसानों के नेतृत्व में सबसे आगे हैं, बल्कि अपने संघर्ष और बलिदान से आंदोलन को नई ऊर्जा दे रहे हैं।
हालांकि, डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत को देखते हुए किसान संगठनों और समर्थकों ने सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत बेहद गंभीर है और उनके शरीर में कमजोरी बढ़ती जा रही है। बावजूद इसके, डल्लेवाल ने यह लड़ाई जारी रखने की ठानी है।
सरकार पर सवाल
किसानों का कहना है कि सरकार की उदासीनता से उनका आंदोलन और भी मजबूत हुआ है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों को नहीं माना, तो आंदोलन और तेज होगा। महापंचायत के जरिए किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अब वह अपने अधिकारों से पीछे नहीं हटेंगे।
खनौरी बॉर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ एमएसपी की गारंटी का नहीं, बल्कि किसान वर्ग के अस्तित्व की लड़ाई है। उनके मुताबिक, अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया तो देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
जगजीत सिंह डल्लेवाल और अन्य किसान नेताओं के नेतृत्व में खनौरी बॉर्डर पर जारी आंदोलन ने एक बार फिर किसानों के मुद्दों को राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बना दिया है। 4 जनवरी की महापंचायत पर सभी की नजरें टिकी हैं, जहां किसान अपने आंदोलन को और भी बड़े स्तर पर ले जाने की रणनीति तैयार करेंगे।