पंजाब के वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन सोमवार को 28वें दिन भी जारी है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत बेहद गंभीर है और उन्हें दिल का दौरा पड़ने और कई अंगों के फेल होने का खतरा है। 70 वर्षीय डल्लेवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने हेतु 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
डॉक्टरों ने जताई गंभीर चिंता
खनौरी बॉर्डर पर डल्लेवाल का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि भूख हड़ताल के कारण उनके महत्वपूर्ण अंग जैसे तंत्रिका तंत्र, यकृत और गुर्दे प्रभावित हो रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया:
उनका रक्तचाप घट-बढ़ रहा है और कभी-कभी तेजी से गिर जाता है।
उन्हें ‘ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन’ पॉजिटिव पाया गया है, जिससे चक्कर आना, सिरदर्द और बेहोशी की संभावना बढ़ जाती है।
उनके हाथ-पैर ठंडे हो गए हैं, और उनका शरीर हेमोडायनामिक रूप से अस्थिर है।
डॉक्टरों के अनुसार, डल्लेवाल को तत्काल ICU में भर्ती करने की आवश्यकता है।
भूख हड़ताल से कमजोर हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा जारी बयान में कहा गया कि 27 दिनों की भूख हड़ताल से डल्लेवाल की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो चुकी है, जिससे उन्हें इंफेक्शन का खतरा है। डॉक्टरों की सलाह पर रविवार को डल्लेवाल मंच पर नहीं आए।
मांगों को लेकर जारी है संघर्ष
डल्लेवाल केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित अन्य लंबित मांगों को लागू करने की अपील कर रहे हैं। उनके आंदोलन को किसान संगठनों और समर्थकों का बड़ा समर्थन मिल रहा है।
देशव्यापी कैंडल मार्च और सांकेतिक भूख हड़ताल की घोषणा
डल्लेवाल की भूख हड़ताल के समर्थन में किसान नेताओं ने 24 दिसंबर को देशभर में शाम 5:30 बजे कैंडल मार्च निकालने की घोषणा की है। इसके अलावा, 26 दिसंबर को उनके अनशन का एक महीना पूरा होने पर तहसील और जिला स्तर पर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सांकेतिक भूख हड़ताल रखी जाएगी।
किसान संगठनों का समर्थन
किसान संगठनों का कहना है कि डल्लेवाल का अनशन सरकार की उपेक्षा और किसानों की अनदेखी के खिलाफ एक बड़ा कदम है। उन्होंने केंद्र से अपील की है कि किसानों की मांगों को तत्काल स्वीकार किया जाए।
जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती हालत और उनके आंदोलन ने देशभर का ध्यान आकर्षित किया है। उनके संघर्ष से किसानों के मुद्दों को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। हालांकि, डॉक्टरों की गंभीर चेतावनी के बीच सवाल उठता है कि क्या डल्लेवाल का स्वास्थ्य और जीवन बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।