किसान आंदोलन में अब एक नई दिशा देखने को मिल रही है। किसान आंंदोलन के प्रमुख नेता जगरजीत सिंह ढिल्लों के साथ मरण व्रत पर बैठे 121 किसानों ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय शानिवार को केंद्र सरकार द्वारा आयोजित एक बैठक के बाद लिया गया, जिसमें किसानों की चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की गई थी।
किसान नेता जगरजीत सिंह ढिल्लों, जो पिछले 54 दिनों से मरण व्रत पर बैठे थे, उनकी स्थिति लगातार गंभीर हो रही थी, जिससे आंदोलन को लेकर नए मोड़ की उम्मीद की जा रही थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियंकर रंजन, पंजाब पुलिस के पूर्व डीआईजी नरेंद्र भार्गव और पूर्व एडीजीपी जसकरन सिंह सहित एक टीम खनौरी बॉर्डर पर किसानों से बातचीत करने पहुंची।
इस बातचीत के दौरान किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर विचार किया और उसके बाद मरण व्रत समाप्त करने का निर्णय लिया। जगरजीत सिंह ढिल्लों और अन्य किसानों की स्थिति को देखते हुए चिकित्सा सुविधाएं भी तुरंत उपलब्ध कराई गईं, जिससे उनकी सेहत में सुधार हो पाया।
किसान नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि केंद्र सरकार ने उनके सामने एक प्रस्ताव रखा है, लेकिन इस पर पूरी जानकारी अभी साझा नहीं की जा सकती। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर बातचीत जारी रहेगी और किसानों को पूरी जानकारी देने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
केंद्र और किसानों के बीच आगे की बातचीत के लिए 14 फरवरी को एक महत्वपूर्ण बैठक की घोषणा की गई है। यह बैठक चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में शाम 5 बजे होगी।
किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मुख्य मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा, लेकिन इस प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इससे पहले, किसानों ने अपनी हड़ताल के दौरान केंद्र सरकार पर कई बार दबाव डाला था और उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था।
आंदोलन की यह स्थिति केंद्र और किसानों के बीच बातचीत के नए अवसर की शुरुआत हो सकती है। इस बातचीत से उम्मीद है कि किसानों की लंबित मांगों पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।