पंजाब के मोगा जिले में हाल ही में आयोजित महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया गया। इस महापंचायत में किसानों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ अपने संघर्ष को और तेज करने का संकल्प लिया। किसान नेताओं जैसे जोयोगिंदर सिंह उगराहां और बलबीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व में एसकेएम का एक बड़ा जत्था खनौरी बॉर्डर पर पहुंचा और आंदोलन को और मजबूती देने के लिए कई अहम निर्णय लिए गए।
महापंचायत में किसानों के आंदोलन को एक नई दिशा देने का फैसला किया गया। एसकेएम ने ऐलान किया कि वे 13 जनवरी को तहसील स्तर पर कृषि विपणन नीति के ड्राफ्ट की प्रतियां जलाएंगे और 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का निर्णय लिया है। इन दोनों कार्यक्रमों का उद्देश्य केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाना और किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष को जारी रखना है। यदि दोनों पक्षों के बीच सहमति बनती है, तो यह कार्यक्रम संयुक्त रूप से भी आयोजित किए जा सकते हैं।
किसान नेताओं का ऐलान: सरकार के खिलाफ जबरदस्त संघर्ष
महापंचायत के दौरान किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार संघर्ष की चेतावनी दी और इसके लिए किसानों को पूरी तरह तैयार रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आगामी संघर्ष की रणनीति पर चर्चा करने के लिए 24-25 जनवरी को दिल्ली में एक राष्ट्रीय बैठक का आयोजन करने का ऐलान किया है। यह बैठक किसान आंदोलन की भविष्यवाणी और आगामी कदमों पर विचार विमर्श करेगी।
एसकेएम के नेताओं ने किसानों से कहा कि वे कम से कम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीदी गारंटी कानून को लेकर अपनी मांगों को लेकर संघर्ष जारी रखें। किसान अब 11 महीनों से इस मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, और उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं।
स्वामीनाथन फॉर्मूले की अधूरी सिफारिशें रद्द
एसकेएम की बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। स्वामीनाथन फॉर्मूले के तहत किसानों की मांगों को लेकर संसद की स्थायी समिति द्वारा की गई अधूरी सिफारिशों को रद्द कर दिया गया। किसान नेताओं ने साफ किया कि जब तक सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी नहीं देती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
एकता कमेटी में राकेश टिकैत की भी भूमिका
महापंचायत में यह भी निर्णय लिया गया कि संयुक्त किसान मोर्चा की छह सदस्यीय एकता समिति में राकेश टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल, जोयोगिंदर सिंह उगराहां, रामिंदर सिंह पटियाला, डॉ. दर्शनपाल और कृष्ण प्रसाद को शामिल किया जाएगा। यह समिति आगे चलकर 15 जनवरी को पटियाला के गुरुद्वारा दुःखनिवारन साहिब में एक साझा बैठक आयोजित करेगी। इस बैठक में किसान आंदोलन को लेकर नए निर्णय लिए जाएंगे और आंदोलन के अगले चरण पर चर्चा की जाएगी।
केंद्र सरकार के खिलाफ किसान संघर्ष की मजबूती
किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ देश भर में उनके पुतले फूंकने का ऐलान किया। एसकेएम का मानना है कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ अन्याय किया है और अब समय आ गया है जब उन्हें उनके हक के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि वे शंभू और खनौरी सीमा पर चल रहे आंदोलन में एकता बनाए रखेंगे और सरकार के खिलाफ संघर्ष को और तेज करेंगे।
निष्कर्ष
किसान आंदोलन के 11 महीनों से जारी संघर्ष में एसकेएम की महापंचायत ने एक नया मोड़ लिया है। केंद्र सरकार के खिलाफ किसान अब और भी ज्यादा मजबूत और संगठित तरीके से संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। किसानों के लिए एमएसपी और खरीदी गारंटी कानून जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर वे निरंतर दबाव बनाते हुए अपनी आवाज को उठाते रहेंगे। आगामी दिनों में जब किसान आंदोलन और तेज होगा, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।