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पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 26 नवंबर 2024 से किसानों और मजदूरों का आंदोलन जारी है। यह आंदोलन किसानों की हक़ीक़ी मांगों को लागू करवाने के लिए किया जा रहा है। इसी संघर्ष के बीच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन (मरण व्रत) अब 75वें दिन में पहुंच चुका है, जिससे उनकी सेहत बेहद नाजुक होती जा रही है।
डल्लेवाल की सेहत लगातार बिगड़ रही है
पिछले 5 दिनों से डॉक्टरों को उनके इलाज में बहुत परेशानी हो रही है। उनकी हाथों की नसें पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं, जिससे उन्हें ड्रिप चढ़ाना मुश्किल हो गया है। अब डॉक्टर उनकी टांगों की नसों के जरिए इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी हालत बेहद चिंताजनक बनी हुई है।
इस बीच, किसान नेता काका सिंह कोटड़ा और जसवीर सिंह सिद्धूपुर ने सरकार से मांग की है कि डल्लेवाल के परिवार को तुरंत सहायता दी जाए और उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि इस अनशन को खत्म किया जा सके।
किसानों का सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत के बीच खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने ऐलान किया कि वे 11, 12 और 13 फरवरी को महापंचायत करेंगे, जिसमें उनके आंदोलन को और तेज़ करने की रणनीति बनाई जाएगी। किसानों ने कहा कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक मोदी सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं कर लेती।
पवित्र जल यात्रा के जरिए किसानों का समर्थन
इस आंदोलन को और मजबूत करने के लिए हरियाणा के किसान “पवित्र जल यात्रा” निकाल रहे हैं। इस यात्रा के तहत किसान अपने खेतों के ट्यूबवेलों से जल लेकर 10 फरवरी को “दाता सिंह वाला” खनौरी बॉर्डर पर पहुंचेंगे। यह यात्रा किसानों के संकल्प और संघर्ष का प्रतीक है।
क्यों कर रहे हैं किसान प्रदर्शन?
किसान सरकार से MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी, कृषि कानूनों को पूरी तरह से खत्म करने, कर्ज़ माफी और किसानों के लिए पेंशन जैसी मांगें कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी, तो वे इस आंदोलन को और तेज़ करेंगे।
क्या होगा आगे?
किसानों का आंदोलन धीरे-धीरे और बड़ा होता जा रहा है। डल्लेवाल की सेहत को लेकर चिंता बढ़ रही है, लेकिन किसानों का कहना है कि वे तब तक संघर्ष करते रहेंगे जब तक सरकार झुक नहीं जाती। अब देखना होगा कि सरकार इस आंदोलन पर क्या फैसला लेती है।