
पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा 2022 में लागू की गई नई आबकारी नीति अब अपने शानदार नतीजे देने लगी है। पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कर मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने घोषणा की है कि प्रदेश के आबकारी राजस्व में पिछले तीन वर्षों में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्री ने बताया कि 2021-22 में जहां यह राजस्व 6,254 करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 के लिए इसे 10,200 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार होगा जब पंजाब का आबकारी राजस्व पांच अंकों का आंकड़ा पार करेगा।
आबकारी विभाग की ई-टेंडरिंग प्रक्रिया बनी गेम चेंजर
वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आबकारी विभाग ने ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के माध्यम से रिकॉर्ड राजस्व अर्जित किया है। सरकार ने 2025-26 के लिए शराब के खुदरा लाइसेंसों की नीलामी में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखी है।
उन्होंने बताया कि विभाग ने 207 शराब समूहों के लिए 9,017 करोड़ रुपये की आरक्षित कीमत तय की थी। इनमें से 179 समूह सफलतापूर्वक आवंटित किए जा चुके हैं, जिससे 8,681 करोड़ रुपये की आय हुई है, जो आरक्षित कीमत से 871 करोड़ रुपये अधिक है।
2025-26 के लिए लक्ष्य 11,020 करोड़, उम्मीद 11,800 करोड़ तक पहुंचने की
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने विश्वास जताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में पंजाब का आबकारी राजस्व 11,020 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर सकता है। उन्होंने कहा कि ई-टेंडरिंग प्रक्रिया को मिल रही शानदार प्रतिक्रिया को देखते हुए यह आंकड़ा 11,800 करोड़ रुपये तक भी पहुंच सकता है, जो पिछले साल के मुकाबले 16% अधिक होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि पारदर्शी नीति और डिजिटल प्रणाली अपनाने से शराब माफिया पर लगाम लगी है, जिससे सरकार को राजस्व में वृद्धि करने में मदद मिली है।
पिछली सरकारों की नीतियों से तुलना
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों की आबकारी नीतियां कमजोर रही थीं, जिससे राज्य का राजस्व प्रभावित हुआ। उन्होंने बताया कि 2002 से 2007 के दौरान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आबकारी राजस्व 6.9% घटकर 1,462 करोड़ रुपये से 1,363 करोड़ रुपये रह गया था।
इसके अलावा, 2015-16 में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान आबकारी राजस्व 4,796 करोड़ रुपये था, जो अगले ही वर्ष घटकर 4,400 करोड़ रुपये रह गया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस दौरान राज्य में शराब माफिया हावी हो गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
पारदर्शिता और डिजिटल प्रक्रिया से हुआ सुधार
पंजाब सरकार की नई आबकारी नीति पारदर्शिता, ईमानदारी और डिजिटल प्रक्रियाओं पर आधारित है। ई-टेंडरिंग से शराब ठेकों का आवंटन अब क्लीन और भ्रष्टाचार मुक्त तरीके से हो रहा है, जिससे राज्य को भारी राजस्व लाभ हुआ है।
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आने वाले वर्षों में इस नीति को और मजबूत करेगी, जिससे पंजाब के आर्थिक विकास को और गति मिलेगी। उन्होंने विश्वास जताया कि नई आबकारी नीति से राज्य को लाभ मिलता रहेगा और जनता के लिए अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
पंजाब सरकार की नई आबकारी नीति ने राज्य के राजस्व को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। पारदर्शिता, ई-टेंडरिंग और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के कारण राज्य को माफिया मुक्त बनाते हुए रिकॉर्ड तोड़ आर्थिक प्रगति मिल रही है। पंजाब की जनता को इस नीति का सीधा लाभ मिलेगा क्योंकि इससे राज्य में विकास कार्यों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध होंगे।