
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सेवानिवृत्ति के बाद एक नई पारी की शुरुआत की है। अब वह देश की प्रमुख कानून विश्वविद्यालयों में से एक, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में जुड़ गए हैं। यह खबर 15 मई 2025 को खुद यूनिवर्सिटी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की।
पोस्ट में लिखा गया, “हमें गर्व है कि भारत के पूर्व चीफ जस्टिस डॉ. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ अब NLU दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में हमारे साथ जुड़ रहे हैं।” इस जानकारी के साथ यूनिवर्सिटी ने एक तस्वीर भी साझा की, जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ NLU दिल्ली के वाइस चांसलर प्रो. जी.एस. बाजपेयी के साथ नजर आ रहे हैं।
कानूनी शिक्षा के लिए ऐतिहासिक पल
NLU दिल्ली के वाइस चांसलर जी.एस. बाजपेयी ने इस मौके को कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ न सिर्फ एक अनुभवी और दूरदर्शी न्यायाधीश रहे हैं, बल्कि उनका अनुभव छात्रों को संविधान, कानून और अधिकारों की गहरी समझ देने में मदद करेगा।
बाजपेयी ने आगे बताया कि यूनिवर्सिटी अब “सेंटर फॉर कॉन्स्टिट्यूशनल स्टडीज” नाम से एक नया शोध केंद्र शुरू करने जा रही है, जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ प्रमुख भूमिका निभाएंगे। यह केंद्र संविधान से जुड़े मुद्दों और शोध कार्यों को नई दिशा देगा।
जुलाई से शुरू होगी लेक्चर सीरीज
NLU दिल्ली जुलाई 2025 से एक खास व्याख्यान श्रृंखला शुरू कर रही है, जिसका नाम होगा — In the Spirit of Justice: The DYC Distinguished Lecture Series। इसमें जस्टिस चंद्रचूड़ अपने वर्षों के अनुभव के आधार पर संवैधानिक मुद्दों, नागरिक अधिकारों, नैतिकता और न्याय प्रणाली के बदलते स्वरूप पर व्याख्यान देंगे।
नवंबर 2024 में हुए थे रिटायर
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में रिटायर हुए थे। उनका कार्यकाल करीब दो वर्षों का रहा, जिसमें उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों में भूमिका निभाई। 13 मई 2016 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और तब से उन्होंने 38 महत्वपूर्ण संविधान पीठों में हिस्सा लिया।
उनके चर्चित फैसलों में अयोध्या भूमि विवाद, धारा 377 को हटाना (समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करना), निजता का अधिकार और अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे निर्णय शामिल हैं।
लंबा और समृद्ध अनुभव
जस्टिस चंद्रचूड़ का न्यायिक करियर भी बेहद प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के रूप में कार्यभार संभाला। फिर 2013 में वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 1998 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला और वह भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे।
NLU दिल्ली ने उनके जुड़ने को कानूनी शिक्षा की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि बताया है। यूनिवर्सिटी को उम्मीद है कि जस्टिस चंद्रचूड़ का अनुभव नई पीढ़ी के वकीलों और न्यायविदों को संविधान और सामाजिक न्याय की गहराई से समझ विकसित करने में मदद करेगा।
अब देखना दिलचस्प होगा कि जस्टिस चंद्रचूड़ अपने अनुभव और ज्ञान से कानूनी शिक्षा को कैसे नई दिशा देते हैं।