भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार, 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में दिक्कत के चलते रात 8 बजे एम्स के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता और आर्थिक सुधारों के सूत्रधार को खो दिया है।
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वे देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे, जिनके कार्यकाल में भारत ने राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति का अभूतपूर्व दौर देखा। इस साल की शुरुआत में, उन्होंने राज्यसभा से 33 सालों की लंबी सेवा के बाद सेवानिवृत्ति ली। 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री बनने के बाद वे राज्यसभा पहुंचे थे। उन्होंने पांच कार्यकालों तक असम का प्रतिनिधित्व किया और 2019 में राजस्थान से राज्यसभा सदस्य बने।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स ट्राइपोज पूरा किया और 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल. की डिग्री प्राप्त की। उनका शैक्षिक और बौद्धिक कौशल देश और दुनिया में उनके सम्मान का कारण बना।
शैक्षणिक और प्रशासनिक क्षेत्र में अपना योगदान देने के बाद, डॉ. सिंह 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए। 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में प्रमोट किया गया। इसके अलावा, वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे।
1991 में वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने उदारीकरण और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। उनके नेतृत्व में किए गए सुधारों ने भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने मनरेगा और भारत-अमेरिका परमाणु समझौते जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए। उनके कार्यकाल में 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर रही। संसद में उनका आखिरी भाषण विमुद्रीकरण के खिलाफ था, जिसमें उन्होंने इसे “संगठित लूट और वैधानिक लूट” बताया।
डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी सादगी, ईमानदारी और दूरदर्शिता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके निधन से भारत ने न केवल एक नेता, बल्कि एक ऐसा व्यक्तित्व खो दिया है जिसने अपने ज्ञान और विवेक से देश की प्रगति को नई दिशा दी। देश उनके योगदान को हमेशा स्मरण करेगा।