
पंजाब की राजनीति में एक बड़ा नाम और अकाली दल के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा का आज उनके पैतृक गांव उभांवाल में अंतिम संस्कार कर दिया गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और हाल ही में मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया था। उनके जाने से पूरे पंजाब में शोक की लहर दौड़ गई।
सुखदेव सिंह ढींढसा को पंजाब की सियासत में एक मजबूत स्तंभ और बौद्धिक नेता के रूप में जाना जाता था। वे कई बार सांसद रहे और केंद्र सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके थे। उन्होंने अकाली दल के संगठन में भी लंबे समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। चंडीगढ़ स्थित उनके निवास पर उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, जहां कई राजनीतिक दलों के नेता और आम जनता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। आज जब उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया, तो रास्तों पर लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। हर आंख नम थी और माहौल गमगीन।
ढींढसा की अंतिम विदाई में कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, आम आदमी पार्टी की विधायक नरिंदर कौर भाराज, बीजेपी नेता अश्विनी शर्मा, कांग्रेसी नेत्री परनीत कौर और बिक्रम मजीठिया समेत कई अन्य नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
लोगों ने ढींढसा को एक नेकदिल, कर्मठ और सच्चे जनसेवक के रूप में याद किया। गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने हमेशा ही गांव और राज्य के विकास के लिए काम किया। वे अपने सिद्धांतों और विचारों पर अडिग रहने वाले नेता थे।
उनकी अंतिम यात्रा में लोगों की भावनाएं देखने लायक थीं। युवा, बुजुर्ग, महिलाएं—हर कोई उन्हें विदाई देने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़ा। ढींढसा के निधन से न केवल उनके परिवार को, बल्कि पूरे पंजाब को एक गहरी क्षति हुई है।
उनकी सादगी, अनुभव और नेतृत्व हमेशा याद किए जाएंगे। सुखदेव सिंह ढींढसा अब भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और योगदान सदा जीवित रहेंगे।