
पंजाब में खेतीबाड़ी के नजरिए से 1 जून यानी आज का दिन बेहद अहम है। राज्य में आज से धान की लुवाई (फसल काटने) की शुरुआत हो गई है। इस बार पिछले साल की तुलना में 10 दिन पहले धान की कटाई शुरू हो रही है। सरकार और बिजली विभाग ने इस सीजन के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं।
हालांकि, पंजाब में धान की सीधी बिजाई का काम पहले ही 15 मई से शुरू हो चुका है, जो 31 जुलाई तक चलेगा। पिछली बार 2024 में धान की लुवाई 11 जून से शुरू हुई थी। इस बार इसे पहले शुरू करने के पीछे किसानों की मांग, मौसम की स्थिति और सरकारी प्रबंधन की रणनीति अहम कारण हैं।
सरकार ने धान की लुवाई के लिए पूरे पंजाब को तीन ज़ोन में बांटा है। शुरुआत उन इलाकों से की गई है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे हुए हैं और जहां नहरों से सिंचाई होती है। इसमें फरीदकोट, बठिंडा, फिरोज़पुर, श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का ज़िले शामिल हैं, जहां आज से फसल कटाई शुरू हो गई है।
इसके बाद 5 जून से गुरदासपुर, पठानकोट, तरनतारन, अमृतसर, रूपनगर, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब और होशियारपुर जैसे जिलों में लुवाई शुरू होगी। आखिरी चरण में 9 जून से लुधियाना, संगरूर, बरनाला, मोगा, मानसा, जालंधर, पटियाला, कपूरथला, मलेरकोटला और नवांशहर जैसे जिलों में लुवाई की जाएगी।
इस दौरान बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए बिजली विभाग (पावरकॉम) ने रोजाना 8 घंटे बिजली सप्लाई देने का फैसला लिया है। ज़रूरत पड़ने पर यह समय और बढ़ाया भी जा सकता है। गर्मी और धान की फसल के चलते बिजली की मांग आज दोपहर करीब 11,000 मेगावाट तक पहुंच गई थी, जो बाद में मौसम में बदलाव की वजह से घटकर 7,000 से 8,000 मेगावाट रह गई।
फिलहाल पंजाब के सभी सरकारी और निजी थर्मल पावर प्लांट के 15 यूनिट पूरी क्षमता से चल रहे हैं। बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने आश्वासन दिया है कि बिजली सप्लाई में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी और पावर प्लांट्स के पास एक महीने के लिए पर्याप्त कोयले का भंडार मौजूद है।
मौसम विभाग की मानें तो इस बार मानसून भी तय समय से एक हफ्ता पहले आ सकता है, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होगा। इसके अलावा हाल ही में हुई बारिश ने भी खेतों की नमी बढ़ाकर किसानों को राहत दी है।
राज्य सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे ग्राउंड वाटर (जमीन का पानी) की बजाय अधिक से अधिक नहरी पानी का इस्तेमाल करें, ताकि भूजल स्तर को बचाया जा सके।