सरकार ने बढ़ाई पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी, लेकिन कीमतों में नहीं होगा इज़ाफा

सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर का इज़ाफा कर दिया है। यह बढ़ोतरी 8 अप्रैल 2025 से लागू होगी। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक नोटिफिकेशन में दी गई है।
लेकिन राहत की बात यह है कि सरकार ने साफ किया है कि इस फैसले का असर आम जनता पर नहीं पड़ेगा। पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें घटने के कारण एक्साइज ड्यूटी में किया गया यह इज़ाफा कीमतों में समायोजित कर लिया जाएगा।
अब कितनी ड्यूटी लगेगी?
फिलहाल सरकार पेट्रोल पर 19.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूल रही थी। लेकिन इस फैसले के बाद पेट्रोल पर ड्यूटी बढ़कर 21.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 17.80 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। इससे सरकार को राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे आर्थिक हालात को मज़बूती मिल सकती है।
तेल मंत्री ने क्या कहा?
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में हालिया गिरावट को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आती है, तो देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में भी कमी हो सकती है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में तेज़ गिरावट देखी गई है। ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई (WTI) क्रूड ऑयल, जो अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार के प्रमुख बेंचमार्क हैं, अप्रैल 2021 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। ब्रेंट क्रूड की कीमत 3.4% गिरकर 63.35 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई की कीमत 3.58% गिरकर 59.77 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। पिछले सप्ताह भी ब्रेंट में 10.9% और WTI में 10.6% की भारी गिरावट दर्ज की गई थी।
सरकार को मिलेगा फायदा, आम आदमी को नहीं होगी तकलीफ
सरकार का कहना है कि इस कदम से एक्साइज ड्यूटी बढ़ेगी जरूर, लेकिन पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतें स्थिर रहेंगी। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी गिरावट की वजह से ग्राहकों पर बोझ नहीं डाला जाएगा। इससे सरकार को एक्स्ट्रा रेवेन्यू मिलेगा और वित्तीय घाटा कुछ हद तक कम करने में मदद मिलेगी।कुल मिलाकर, यह सरकार का एक संतुलित फैसला माना जा रहा है। एक ओर जहां सरकार को राजस्व में बढ़ोतरी का मौका मिलेगा, वहीं दूसरी ओर आम जनता पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा। अगर कच्चे तेल की कीमतें ऐसे ही कम बनी रहती हैं, तो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल सस्ते होने की उम्मीद भी जताई जा रही है।