किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर किसानों की मांगों को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली की ओर कूच करने का ऐलान किया है। शनिवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंढेर ने सरकार पर बातचीत को लेकर झूठ बोलने और ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने घोषणा की कि रविवार दोपहर 12 बजे 101 किसानों का एक जत्था दिल्ली के लिए प्रस्थान करेगा।
सरकार पर झूठे वादों का आरोप
सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि सरकार अब तक कोई ठोस प्रस्ताव लेकर सामने नहीं आई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बातचीत के नाम पर सिर्फ दिखावा कर रही है और किसानों के वास्तविक मुद्दों को अनदेखा कर रही है। पंढेर ने कहा, “सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि देश विकास कर रहा है, लेकिन विकास का मापदंड किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज करता है।”
किसानों की मुख्य मांगे
किसानों का आरोप है कि सरकार की नीतियां कॉर्पोरेट्स के पक्ष में झुकी हुई हैं, जो किसानों के हितों के खिलाफ हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं:
- एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानून का दर्जा देना: किसान चाहते हैं कि उनकी फसलों का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जाए।
- बढ़ते कर्ज और बिजली दरों का समाधान: किसानों का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।
- कृषि क्षेत्र में सुधार: किसानों का कहना है कि सुधार उनके हितों के बजाय बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किए जा रहे हैं।
दिल्ली कूच की योजना
किसान नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लेती। रविवार दोपहर 12 बजे 101 किसानों का जत्था दिल्ली के लिए कूच करेगा। पंढेर ने कहा, “यह आंदोलन किसानों के अधिकारों की लड़ाई है, और इसे दबाने की किसी भी कोशिश को हम नाकाम करेंगे।”
सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध
सरकार और किसान संगठनों के बीच यह गतिरोध लंबे समय से जारी है। सरकार का दावा है कि वह बातचीत के लिए तैयार है और विकास के लिए किसानों के हितों का ध्यान रखा जा रहा है। लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि अब तक की सभी चर्चाएं केवल दिखावा रही हैं और सरकार ने उनकी मांगों को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
सरकार के खिलाफ किसानों का असंतोष
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार की नीतियां स्पष्ट रूप से किसान विरोधी हैं। पंढेर ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह कृषि क्षेत्र में सुधारों के नाम पर किसानों को कॉर्पोरेट्स के हाथों सौंप रही है। उन्होंने कहा, “हमारा आंदोलन सरकार की नीतियों के खिलाफ है, जो न केवल किसानों को बल्कि पूरे देश को नुकसान पहुंचा रही हैं।”
आंदोलन का बढ़ता दबाव
किसानों की मांगों और उनके आंदोलन का दबाव सरकार पर लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार इस बार किसानों की मांगों को लेकर कोई निर्णायक कदम उठाएगी या नहीं।