सरकार ने सुरक्षा मामलों पर मीडिया रिपोर्टिंग के लिए दिशानिर्देश जारी किए

भारत सरकार ने शनिवार को मीडिया चैनलों को सुरक्षा बलों और उनके अभियानों की गतिविधियों का लाइव प्रसारण करने से बचने की सलाह दी है। सरकार का कहना है कि इस तरह की जानकारी का प्रसारण जानबूझकर या अनजाने में विरोधी तत्वों की मदद कर सकता है। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
22 अप्रैल को दक्षिणी कश्मीर के प्रमुख पर्यटक स्थल पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस घटना के बाद सुरक्षा मामलों पर रिपोर्टिंग को लेकर एक दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स, समाचार एजेंसियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को यह सलाह दी जाती है कि वे सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं की रिपोर्टिंग करते समय पूरी जिम्मेदारी से काम करें। इसके अलावा, सभी को मौजूदा कानूनों और नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि संवेदनशील जानकारी का समय से पहले खुलासा करना, चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, दुश्मन तत्वों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इससे न सिर्फ सुरक्षा बलों के अभियानों की प्रभावशीलता पर असर पड़ता है, बल्कि इससे सुरक्षा कर्मियों की जान को भी खतरा हो सकता है।
सरकार ने इस संदर्भ में पिछली घटनाओं का उदाहरण भी दिया। जैसे कि 1999 में कारगिल युद्ध, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले और 1999 में कंधार विमान अपहरण की घटनाओं का हवाला दिया गया, जहां मीडिया के द्वारा संवेदनशील जानकारी का सार्वजनिक होना सुरक्षा बलों की कार्रवाई में रुकावट डालने का कारण बना था।
यह दिशा-निर्देश मीडिया को सचेत करता है कि वे आतंकवाद या अन्य सुरक्षा मुद्दों की रिपोर्ट करते समय हर पहलू पर ध्यान दें। खासकर उन जानकारी के बारे में जो सुरक्षा ऑपरेशंस या मिशनों से जुड़ी हो, क्योंकि इसके खुलासे से दुश्मन पक्ष को मौके मिल सकते हैं, जिससे संघर्ष और जटिल हो सकता है।
मीडिया द्वारा इस तरह की जिम्मेदार रिपोर्टिंग सुरक्षा को बढ़ावा देती है और देश की अखंडता को बनाए रखने में मदद करती है। यह समय की मांग है कि हम सभी नागरिक, मीडिया और सुरक्षा एजेंसियां एकजुट होकर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए काम करें और किसी भी असंवेदनशील जानकारी के प्रसार से बचें।
इस कदम का उद्देश्य सुरक्षा बलों को पूरी तरह से सक्षम और प्रभावी बनाए रखना है ताकि आतंकवाद जैसी घटनाओं से निपटा जा सके और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।