
पंजाब के शिक्षा विभाग ने छात्रों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई की है। लुधियाना के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जवाहर नगर (स्कूल ऑफ एमिनेंस) के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है और कैंपस मैनेजर को बर्खास्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई स्कूल में देर से आने वाले छात्रों को अनुचित एवं शारीरिक सजा देने के मामले में की गई है।
रेत-बजरी मंगवाकर दी सजा
मामले का खुलासा तब हुआ जब यह पता चला कि स्कूल के प्रिंसिपल और कैंपस मैनेजर ने देर से आने वाले छात्रों को सजा के रूप में स्कूल परिसर में रेत और बजरी उठाने के लिए मजबूर किया। यह घटना शिक्षा विभाग के ध्यान में आने के बाद शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने तुरंत सख्त कार्रवाई का आदेश दिया।
शिक्षा मंत्री स. हरजोत सिंह बैंस ने इस अमानवीय कृत्य की निंदा करते हुए कहा, “इस प्रकार के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल का होना बेहद आवश्यक है। शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे छात्रों को प्रेरित करें और उनकी भलाई के लिए काम करें, न कि उन्हें शारीरिक सजा देकर अपमानित करें।”
शिक्षा मंत्री की त्वरित कार्रवाई
स. बैंस ने बताया कि जैसे ही यह घटना उनके ध्यान में आई, उन्होंने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए और दोषी पाए गए प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया। साथ ही, कैंपस मैनेजर को बर्खास्त कर दिया गया है। शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी और किसी भी प्रकार के अमानवीय व्यवहार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी।
विद्यार्थियों के सम्मान और भलाई पर जोर
स. बैंस ने राज्य के सभी स्कूलों के शिक्षकों और अधिकारियों को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों के भीतर आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए तैयार करना है। सजा देने के नाम पर छात्रों का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
सरकार की प्रतिबद्धता
पंजाब सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए लगातार कदम उठा रही है। “स्कूल ऑफ एमिनेंस” प्रोजेक्ट के तहत राज्य के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और छात्रों के लिए एक आदर्श वातावरण तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है।
यह घटना सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि वह किसी भी तरह के अनुचित व्यवहार के खिलाफ सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। इस कार्रवाई से राज्य के शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को एक कड़ा संदेश गया है कि विद्यार्थियों के सम्मान और भलाई से समझौता करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।